Karnataka Speaker: इस ' मनहूस' कुर्सी पर नहीं चाहता है कोई बैठना; 19 सालों में जो भी बैठा, हार गया चुनाव
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam1705151

Karnataka Speaker: इस ' मनहूस' कुर्सी पर नहीं चाहता है कोई बैठना; 19 सालों में जो भी बैठा, हार गया चुनाव

Banglore: कर्नाटक में कांग्रेस के शानदार जीत के बाद जहां एक तरफ पार्टी में खुशी का माहौल है वहीं पर दूसरी तरफ पार्टी में मुख्यमंत्री तय होने के बाद आब मसला स्पीकर पर आकर के अटक गया है. इस पद को लेकर के पेशकश होती है तो वह इस जिम्मेदारी को लेने से मना कर देते हैं. 

 

Karnataka Speaker: इस ' मनहूस' कुर्सी पर नहीं चाहता है कोई बैठना; 19 सालों में जो भी बैठा, हार गया चुनाव

Banglore: कर्नाटक में कांग्रेस के शानदार जीत के बाद जहां एक तरफ पार्टी में खुशी का माहौल है वहीं पर दूसरी तरफ पार्टी में मुख्यमंत्री तय होने के बाद आब मसला स्पीकर पर आक के अटक गया है. ये मसला पार्टी में किसी पद को लेकर के नहीं है. पार्टी में जिस किसी को भी इस पद के लिए पेशकश होती है वह मना कर देते हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता को जब इस पद को लेकर के पेशकश होती है तो वह इस जिम्मेदारी को लेने से मना कर देते हैं. सूत्रों का कहना है कि इस पद से जुड़ी कुर्सी पर मनहूसियत का डर लगता है. 

कर्नाटक में विधानसभा अध्यक्ष बनने वाले नेताओं को अगले चुनाव में हार मिली है और उनका राजनीतिक करियर पूरी तरह समाप्त हो गया है. पिछली भाजपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी भी चुनाव हार गए. उनकी हार ने पार्टी को झटका दिया और एक मजबूत नेता के रूप में उनकी ताकत पर सवाल खड़ा कर दिया.

2004 से इन पद पर बैठने वाले हारे 
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस प्रतिष्ठित पद पर 2004 के बाद बैठा है. अपने राजनितिक जीवन में गहरा झटका लगा है. कांग्रस के 2004 में विधायक बने के.आर. पेट सीट से कृष्णा जो एस.एम. कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी उसमें वह विधानसभा अध्यक्ष बने और 2008 में चुनाव हार गये. और 2018 में INC-JDS सरकार में स्पीकर रहे वह 10 मई को चुनाव हार  गये. इससे पहले 2013 में विधानसभा अध्यक्ष  बनने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी कगोडू थिम्मप्पा 2018 में चुनाव हार गए थे. और 2016 में इस कुर्सी पर बैठने वाले पांच बार के विधायक के.बी. कोलीवाड भी 2018 में आम चुनाव हार गए और 2019 में उपचुनाव भी हार गए. 

इसी को लेकर कांग्रेस पार्टी को पद के लिए वरिष्ठों को मनाने में मुश्किल हो रही है. जिसको लेकर के  मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने घोषणा की थी कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आर.वी. देशपांडे सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा के तीन दिवसीय पहले सत्र में अस्थाई अध्यक्ष बनेंगे और सत्र के दौरान नए अध्यक्ष का चुनाव होगा. 

इन नेताओं ने ठुकराया प्रस्ताव 
कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि डॉ. जी. परमेश्वर ने सीधे-सीधे प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया. पार्टी टी.बी. जयचंद्र, एच.के. पाटिल, बी.आर. पाटिल और वाई.एन. गोपालकृष्ण जैसे वरिष्ठ नेताओं में से किसी एक को स्पीकर बनाने पर विचार कर रही लेकिन उनमें से कोई भी इच्छुक नहीं है. जयचंद्र जो 2019 के उपचुनावों में अपनी सीट भाजपा से हार गए थे. इस बार विजयी हुए हैं. एच.के. पाटिल गदग से एक प्रमुख लिंगायत नेता हैं. और उन्हें कैबिनेट में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है. और  बी.आर. पाटिल अलांद निर्वाचन क्षेत्र से हैं.
 
ये दिग्गज हारे इस बार चुनाव
करनाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर और भाजपा के वरिष्ठ नेता के.जी. बोपैया  भाजपा सरकार में स्पीकर थे. इस बार के  विधानसभा चुनावों में हार गए.  जिससे उनके राजनीतिक करियर को झटका लगा है. इन  मनहूसियत के कारण जिनको भी पद की पेशकश की जा रही है.  कह रहे हैं कि वे अध्यक्ष बनने की बजाय विधायक बने रहना पसंद करेंगे. सूत्रों ने कहा कि कैबिनेट विस्तार में मंत्री पद की उम्मीद भी एक कारण है, लेकिन मुख्य रूप से यह मनहूसियत का डर है जो उन्हें स्पीकर की जिम्मेदारी लेने से रोक रहा है. 

Trending news