Mahua Moitra Bungalow: मोहुआ मोइत्रा को जल्द से जल्द अपना सरकारी बंगला खाली करना होगा. संपदा निदेशालय ने आदेश दिए हैं कि वह तुरंत सरकार बंगला खाली कर दें. आखिर ऐसा क्यों हुआ? आइये जानते हैं.
Trending Photos
Mahua Moitra Bungalow: महुआ मोइत्रा को अपना सरकारी आवास तुरंत खाली करना होगा. संपदा निदेशालय, वह विभाग जो केंद्र सरकार की आधिकारिक और आवासीय संपत्तियों का प्रबंधन और रखरखाव करता है, उसने तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा को सरकार के जरिए आवंटित बंगला तुरंत खाली करने के लिए कहा है. आखिर पूरा मामला क्या है और क्यों महुआ को यह घर खाली करना पड़ रहा है. आइये जानते हैं.
बता दें, यह बंगला उन्हें एक सांसद के तौर पर आवंटित किया गया था. हालाँकि, पिछले साल कैश-फॉर-क्वेरी घोटाले की वजह से उन्हें लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया. इसी वजह से सरकार ने उनसे आलीशान संपत्ति खाली करने के लिए कहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के एक सूत्र के हवाले से बताया कि मोइत्रा को तुरंत घर खाली करने के लिए कहा गया है और यह सुनिश्चित करने के लिए विभाग की एक टीम भेजी जाएगी कि संपत्ति "जल्द से जल्द खाली हो जाए".
एक सूत्र ने समाचार एजेंसी को बताया है कि चूंकि उन्हें (मोइत्रा) को मंगलवार को बेदखली का नोटिस जारी किया गया था, इसलिए अब संपत्ति निदेशालय के अधिकारियों की एक टीम यह सुनिश्चित करने के लिए भेजी जाएगी कि सरकारी बंगला जल्द से जल्द खाली हो.
एथिक्स पैनल के जरिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के साथ अपने संसदीय लॉगिन क्रेडेंशियल साझा करने का दोषी पाए जाने के बाद मोइत्रा को 8 दिसंबर को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. इससे पहले, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने लोकसभा में बिजनेसमैन के प्रश्न पूछने के बदले में रिश्वत ली थी. अपने बचाव में, मोइत्रा ने कहा कि उन्होंने बिजनेसमैन से कभी कोई रिश्वत नहीं ली है और उन्होंने अपनी लॉग इन की जानकारी अपने कर्मचारियों को पोर्टल पर अपने प्रश्न टाइप करने के लिए साझा की थी.
इस मामले के पेश आने के बाद 7 जनवरी को उन्हें घर खाली करने के लिए कहा गया था. महुआ इस ऑर्डर के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में भी गई थीं. 4 जनवरी को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने तृणमूल नेता को उन्हें आवंटित सरकारी आवास पर कब्जा करने की अनुमति के लिए संपदा निदेशालय से संपर्क करने के लिए कहा था. अदालत ने कहा कि नियमों के अनुसार, अधिकारी किसी निवासी को छह महीने तक अधिक समय तक रहने की अनुमति दे सकते हैं.