नहीं रहे मौलाना नूर आलम खलील अमीनी, अदबी और इस्लामिक दुनिया है गम की लहर
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नहीं रहे मौलाना नूर आलम खलील अमीनी, अदबी और इस्लामिक दुनिया है गम की लहर

मौलाना नूर आलम खलील अमीनी इस्लामी दुनिया में बड़ा नाम थे वह अरबी के बड़े स्कॉलर थे. उन्हें इस्लामिक दुनिया में बहुत इज्ज़त व एहतराम की निगाह से देखा जाता था. 

फाइल फोटो

देवबंद: दारुल उलूम देवबंद के सीनियर उस्ताद और अरेबिक मैगजीन अल-दाई के एडिटर मौलाना नूर आलम खलील अमीनी का बीमारी के चलते देर रात इंतकाल हो गया. उनके इंतकाल की खबर से इस्लामिक दुनिया है गम की लहर दौड़ गई. मौलाना नूर आलम खलील अमीनी पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. देवबंद और मुज़फ्फरनगर के बाद उन्हें मेरठ के आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां से तबीयत ठीक होने के बाद छुट्टी मिल गई थी लेकिन देर रात एक बार फिर तबीयत बिगड़ने के कारण उनका इंतकाल हो गया है. 

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अदबी और इल्मी हल्कों में गम की लहर
मौलाना नूर आलम खलील अमीनी इस्लामी दुनिया में बड़ा नाम थे वह अरबी के बड़े स्कॉलर थे. उन्हें इस्लामिक दुनिया में बहुत इज्ज़त व एहतराम की निगाह से देखा जाता था. मौलाना दारुल उलूम देवबंद के एक काबिल उस्ताद थे. उनके इंतेकाल से दारुल उलूम को बहुत नुकसान हुआ है. उनके निधन की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इल्मी और अदबी हलकों में गम की लहर दौड़ गई. मौलाना के हजारों शागिर्द हैं जो पूरी दुनिया में धार्मिक और विद्वानों की खिदमत कर रहे हैं.

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राष्ट्रपति से मिल चुका है एजाज़
मौलाना का जन्म 18 दिसंबर 1952 को बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में हुआ था. मौलाना अमिनी अरबी भाषा के लेखक थे और उनकी किताब मुफ्ता अल-अरबिया कई मदरसों में दर्स निज़ामी के स्लेबस में शामिल है. मौलाना नूर आलम खलील अमीनी को उनकी अरबी जबान में दी जाने वाली सेवाओं के लिए राष्ट्रपति के हाथों विशेष सम्मानित किया जा चुका है.

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