इंदौर के मशहूर सर्जन डॉ. ललित मोहन पंत ने कहा है कि भारत की बढ़ती आबादी स्थिर हो चुकी है. अगर सख्त जनसंख्या कानून लागू किया गया तो उसके खतरनाक सामाजिक दुष्परिणाम होंगे और भारत आने वाले दिनों में बूढ़े लोगों का देश बन जाएगा.
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इंदौरः परिवार नियोजन के लिए लगभग चार लाख लोगों का ऑपरेशन कर के वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले मध्य प्रदेश के मशहूर सर्जन डॉ. ललित मोहन पंत ने शनिवार को भारत की आबादी और आबादी नियंत्रण को लेकर बेहद चौंकाने वाली बात कही है. उन्होंने अपने ही पूर्व के बयानों को पलट दिया है. डॉक्टर पंत ने कहा है कि मौजूदा हालात में भारत में सख्त प्रावधानों वाले जनसंख्या नियंत्रण कानून की कोई जरूरत नहीं है. पंत ने सिकुड़ते परिवारों और उसकी वजह से बुजुर्गों के अकेलेपन के सामाजिक दुष्परिणामों को की तरफ ध्यान दिलाते हुए यह बात उस वक्त कही है जब भारत चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ी मानव आबादी वाला देश बन गया है. पंत ने कहा, ‘‘भारत की आबादी स्थिर होने की दिशा में पहले ही बढ़ चुकी है. ऐसे में देश को सख्त प्रावधानों वाले जनसंख्या नियंत्रण कानून की कोई जरूरत नहीं है.’’
सीमित परिवार में बुजुर्गों का जीवन दूभर
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के सर्जन और नसबंदी के प्रमुख प्रशिक्षक पद से रिटायर होने वाले पंत साल 1982 से लेकर अब तक 3,93,177 परिवार नियोजन ऑपरेशन किए हैं. डॉक्टर पंत का दावा है कि दुनिया भर में किसी दूसरे सर्जन ने इतने नसबंदी ऑपरेशन नहीं किए हैं. पंत का कहना है कि वह इन दिनों छोटे होते परिवारों और बुजुर्गों के अकेलेपन के सामाजिक दुष्परिणामों को अपनी आंखों से देख और महसूस कर रहे हैं. उन्होंने बताया, ‘‘मेरा घर इंदौर की जिस कॉलोनी में है, वहां के ज्यादातर घरों में बुजुर्ग लोग अकेले रहने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके बच्चे रोजगार के सिलसिले में देश के किसी अन्य महानगरों या विदेश में रह रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि मैं ऐसे कई जोड़ों को भी जानता हूं, जिन्होंने शादी इसी शर्त पर की है कि वे कभी बच्चा पैदा नहीं करेंगे. ये उनका बेहद खतरनाक फैसला है.’’
गाव से शहरों में पलायन बड़ी समस्या
दो बेटियों के पिता डॉक्टा पंत ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘हमें अपनी आबादी में युवा और कामकाजी वर्कफोर्स के बड़े अनुपात को लगातार मेंटेन करना होगा , वरना आने वाले सालों में जापान की तरह भारत भी बूढ़ों का देश बनकर रह जाएगा.’’ डॉक्टर पंत ने इस बात पर भी चिंता जताई कि रोजगार की वजह से शहरों पर आबादी का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, जबकि गांवों से लोगों का पलायन तेजी से हो रहा है. उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले डॉक्टर पंत ने कहा, “मेरा परिवार भी बेहतर भविष्य की तलाश में उत्तराखंड का अपना पहाड़ी गांव छोड़कर मध्यप्रदेश के मैदानी इलाके में आया था, लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर मैं मानता हूं कि शहरी और ग्रामीण आबादी में संतुलन समाज के लिए बेहद जरूरी है.“
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