Mughal Masjid: मुग़ल मस्जिद में नमाज पढ़ने के मामले में कोर्ट ने एडवांस सुनवाई से इंकार कर दिया है. जानिए क्या है पूरा मामला और कोर्ट में सुनवाई के ्दौरान क्या हुआ?
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Mughal Masjid: मंगलवार को कोर्ट ने महरौली इलाके में मौजूद मुगल मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सोसायटी (एएसआई) द्वारा नमाज पर रोक लगाने के खिलाफ दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की याचिका पर एडवांस हियरिंग से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ती के वकील ने कहा- मामला "अंतिम निपटारे के लिए तैयार है", और आने वाले धार्मिक अवसरों को देखते हुए, 21 अगस्त को होने वाली सुनवाई को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. केंद्र सरकार के वकील ने अनुरोध का विरोध किया और कहा कि वह याचिकाकर्ता द्वारा दायर प्रत्युत्तर का जवाब दाखिल करेंगे.
आपको जानकारी के लिए बता दें याचिका दायर करने वाले शख्स का कहना है कि एएसआई के अधिकारियों ने 13 मई 2022 को गैरकानून तौर पर जल्दबाजी में बिना किसी आदेश के मुगल मस्जिद में नमाज पढ़ने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. पिटीशन के जवाब में भारतीय पुरातत्व सोसायटी (एएसआई) ने कहा मस्जिद कुतुब मिनार की बाउंड्री में आती है, और संरक्षित क्षेत्र के अंदर नमाज की इजाजत नहीं दी जा सकती. केंद्र के रुख का जवाब देते हुए, याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि मस्जिद "संरक्षित" नहीं है, बाड़ वाले क्षेत्र के बाहर और कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद से कुछ दूरी पर है.
जल्दी सुनवाई की अर्जी में, याचिकाकर्ता ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख लगभग छह महीने बाद है, और हर एक बीतते दिन के साथ, इसके अधिकारों का हनन हो रहा है और श्रद्धालु 'शब-ए-बारात' के अवसर पर मुगल मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए उत्सुक हैं. इसके बाद रमजान का पाक महीना भी है.
याचिकाकर्ता ने प्रत्युत्तर में कहा कि यह साबित करने के लिए भारी सबूत हैं कि मस्जिद धार्मिक उपयोग के तहत थी और वहां नियमित रूप से प्रार्थना की जाती थी. एएसआई ने अपने जवाब में कहा है कि मुगल मस्जिद में नमाज की अनुमति देने से न केवल एक उदाहरण स्थापित होगा बल्कि यह अन्य स्मारकों को भी प्रभावित कर सकता है.