देशराज सिंह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के गांव सगूर खास के रहने वाले हैं. 74 वर्षीय देशराज अपने सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई चले गए. मुंबई में पिछले 35 साल से ऑटो चला रहे हैं.
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मुंबई: हर मोड़ पर मेरा इम्तिहां लेती रही जिंदगी, मेरे जज्बे और हिम्मत के आगे वह खुद फेल होती रही, ये शब्द 74 साल के देशराज की जिंदगी का आईना हैं. जिसमें जिंदगी झांक कर देखें तो पानी-पानी हो जाए. हिमांचल के कांगड़ा (Kangra) जिले के देशराज पिछले करीब चार दशक से मुंबई में ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. शुरुआत में महानगरी में कुछ काम किया लेकिन आज उनकी जिंदगी ऑटो के तीन पहियों के आस-पास ही घूम रही है. क्योंकि आज उनके पास जो कुछ भी है वो सब इस ऑटो की बदौलत ही है.
पोते और पीतियों की अच्छी शिक्षा के लिए ऑटो को बनाया घर
देशराज सिंह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के गांव सगूर खास के रहने वाले हैं. 74 वर्षीय देशराज अपने सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई चले गए. मुंबई में पिछले 35 साल से ऑटो चला रहे हैं. देशराज बीते कई वर्षों से ऑटो को ही अपना घर बना लिया है. क्योंकि उनकी हालत कुछ ऐसी है कि वो एक कमरा भी किराये पर नहीं ले सकते. देशराज किराये के पैसे को बचाकर गांव में रह रहे पोते और पोतियों की अच्छी शिक्षा के लिए भेज देते हैं.
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बेटे की मौत पर शौक मनाने तक का नहीं मिला समय
देशराज की एक लड़की और तीन लड़के थे. इनमें से सबसे बड़े बेटे की 2016 में मौत हो गई. इसके दो साल बाद उन्होंने अपने दूसरे बेटे को भी खो दिया. उनके कंधे पर जिम्मेदारी इतनी ज्यादा थी कि वे बेटे की मौत पर शोक भी नहीं मना पाए. एक हिंदी वेबसाइट को इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि वह एक दिन की भी छुट्टी नहीं ले सकते, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. परिवार को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है.
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1986 से चला रहे हैं ऑटो
इंटरव्यू में देशराज ने बताया,"मैने मुंबई में कई काम किया लेकिन बार-बार काम छूट जाने की वजह से मैंने ऑटो चलाना सीखा. इसके बाद 1986 में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया और ऑटो चलाते हुए मुझे 34 से 35 साल हो गए हैं. ऑटो चलाकर ही मैनें बहन-भाई की शादी की. साथ ही मैं अपने परिवार के लिए जो कुछ भी किया इसी ऑटो के बदौलत किया".
मदद के लिए लोग आए आगे
देशराज की दुख भरी दास्तां जैसे ही दुनिया के सामने आई, लोग उनसे काफी प्रभावित हुए. लोगों ने क्राउडफंडिंग के जरिए 24 लाख रुपये इकट्ठा करके देशराज को सौंप दिए. इस फंड को मिलने के बाद देशराज अब अपने परिवर के लिए मुंबई में घर खरीद सकेंगे.
पोती को कराना चाहते हैं B.ED
उन्होंने कहा,'मेरी पोती अभी 10वीं कक्षा में है और वो आगे भी पढ़ेगी. मैं चाहता हूं कि वो B.Ed करे. जब उसका B.Ed पूरा हो जाएगा तब वो एक शिक्षक बन जाएगी और अपने पैरों पर खड़ी हो सकेगी. मैं बस यही चाहता हूं, यही मेरी इच्छा है.
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