Republic Day 2024: जब शायरों की बात आती है, तो उर्दू शायरों ने एक अलग अंदाज़ में अपने शेरों के ज़रिए जम्हूरियत के बारे में अपनी राय पेश की है. आइए पढ़ते जम्हूरियत के पर लिखे गए उर्दू शायरों के 10 शेर.
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Republic Day 2024: हर साल 26 जनवरी (26 January) को हमारे देश में यौम-ए-जम्हूरिया (गणतंत्र दिवस) मनाया जाता है. इस दिन 2 साल 11 महीनें 18 दिन की मेहनत के बाद बना हमारे देश का कांस्टिट्यूशन लागू हुआ था. अपनी बेशुमार ख़ूबियों की वजह से जम्हूरी निज़ाम को पसंद करने वालों की तादाद पूरी दुनिया में बहुत ज़्यादा है. यूं तो इस निज़ाम को नपसंद करने वाले लोग भी हैं, उनका अपना तर्क है. लेकिन जब शायरों की बात आती है, तो उर्दू शायरों ने एक अलग अंदाज़ में अपने शेरों के ज़रिए जम्हूरियत के बारे में अपनी राय पेश की है. आइए पढ़ते जम्हूरियत के पर लिखे गए उर्दू शायरों के 10 शेर.
सुनने में आ रहे हैं मसर्रत के वाक़िआत
जम्हूरियत का हुस्न नुमायाँ है आज-कल
-शेरी भोपालीजम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में
बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते
-अल्लामा इक़बालयही जम्हूरियत का नक़्स है जो तख्त-ए-शाही पर
कभी मक्कार बैठे हैं कभी ग़द्दार बैठे हैं
-डॉक्टर आज़मजम्हूरियत का दर्स अगर चाहते हैं आप
कोई भी साया-दार शजर देख लीजिए
-आजिज़ मातवीकभी जम्हूरियत यहाँ आए
यही 'जालिब' हमारी हसरत है
-हबीब जालिबझुकाना सीखना पड़ता है सर लोगों के क़दमों में
यूँही जम्हूरियत में हाथ सरदारी नहीं आती
-महेश जानिबतो उससे कह दो कि वो आए देख ले आकर
लगाया हमने था जम्हूरियत का जो पौधा
-जावेद अख़्तरनए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
- राहत इंदौरीजम्हूरियत की लाश पे ताक़त है ख़ंदा-ज़न
इस बरहना निज़ाम में हर आदमी की ख़ैर
-अजय सहाबजम्हूरियत भी तुरफ़ा-तमाशा का किस क़दर
लौह-ओ-क़लम की जान यद-ए-अहरमन में है
-बेबाक भोजपुर