'मैं पूछता हूँ तुझे क्या मिला ख़ुदा हो कर' शहजाद अहमद के शेर
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'मैं पूछता हूँ तुझे क्या मिला ख़ुदा हो कर' शहजाद अहमद के शेर

Shahzad Ahmad Poetry: शहजाद अहमद उर्दू के बेहतरीन शायर हैं. उनकी पैदाईश 16 अप्रैल 1932 में पंजाब के अमृतसर में हुई थी.  1 अगस्त 2012 को उन्होंने वफात पाई. उन्होंने आशिक और माशूक पर शेर लिखे हैं. 

 

'मैं पूछता हूँ तुझे क्या मिला ख़ुदा हो कर' शहजाद अहमद के शेर

Shahzad Ahmad Poetry: शहजाद अहमद पाकिस्तानी उर्दू शायर और लेखक थे. वह पाकिस्तान की एक पुरानी पुस्तक लाइब्रेरी के निदेशक थे. शहजाद की कम अज कम तीस किताबें हैं. इन किताबों में उनकी बेहतरीन शेर हैं.  इसके अलावा उन्होंने मनोविज्ञान पर कई अन्य प्रकाशन शामिल हैं . 90 की दहाई में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई. 

गुज़रने ही न दी वो रात मैं ने 
घड़ी पर रख दिया था हाथ मैं ने 

सब की तरह तू ने भी मिरे ऐब निकाले 
तू ने भी ख़ुदाया मिरी निय्यत नहीं देखी 

नींद आए तो अचानक तिरी आहट सुन लूँ 
जाग उठ्ठूँ तो बदन से तिरी ख़ुश्बू आए 

जवाज़ कोई अगर मेरी बंदगी का नहीं 
मैं पूछता हूँ तुझे क्या मिला ख़ुदा हो कर 

जिस को जाना ही नहीं उस को ख़ुदा क्यूँ मानें 
और जिसे जान चुके हों वो ख़ुदा कैसे हो 

मैं तिरा कुछ भी नहीं हूँ मगर इतना तो बता 
देख कर मुझ को तिरे ज़ेहन में आता क्या है 

अब तो इंसान की अज़्मत भी कोई चीज़ नहीं 
लोग पत्थर को ख़ुदा मान लिया करते थे 

छोड़ने मैं नहीं जाता उसे दरवाज़े तक 
लौट आता हूँ कि अब कौन उसे जाता देखे 

यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ 
दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगती है 

जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया 
तब उस को पहली मुलाक़ात का ख़याल आया 

आँख रखते हो तो उस आँख की तहरीर पढ़ो 
मुँह से इक़रार न करना तो है आदत उस की 

दिल ओ निगाह का ये फ़ासला भी क्यूँ रह जाए 
अगर तू आए तो मैं दिल को आँख में रख लूँ 

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