Srinagar: 3 नाबालिग बच्चों की मां ने दसवीं में किया टॉप, बोली- बिल्कुल भी आसान नहीं था
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Srinagar: 3 नाबालिग बच्चों की मां ने दसवीं में किया टॉप, बोली- बिल्कुल भी आसान नहीं था

"सीखने की कोई उम्र नहीं होती", ये तो आपने सुना ही होगा लेकिन श्रीनगर की सबरीना ने साबित भी कर दिया. दरअसल उन्होंने तीन नाबालिग बच्चों को दसवीं कक्षा में टॉप किया है. इस दौरान जी मीडिया ने सबरीना से बातचीत की, पढ़िए उन्होंने क्या कहा.

Srinagar: 3 नाबालिग बच्चों की मां ने दसवीं में किया टॉप, बोली- बिल्कुल भी आसान नहीं था

श्रीनगर/फारूक वानी: उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के बटेरगाम सीमा से सटे इलाके की सबरीना खालिक ने दसवीं कक्षा में टॉप किया है. मंगलवार को ऐलान किए गए दसवीं कक्षा के नतीजों में टॉप करने वाली सबरीना खालिक ने 500 में से 467 नंबर हासिल किए हैं. बड़ी बात यह है कि सबरीना एक शादीशुदा महिला हैं और उनके तीन बच्चे भी हैं. ऐसे में बच्चों समेत पूरे घर की जिम्मेदारी निभाते हुए सबरीना का टॉप करना कोई आम बात नहीं है. सबरीना लाखों लड़कियों के लिए मिसाल बनकर सामने आई हो. 

सबरीना खालिक ने 500 में से 467 अंक प्राप्त किए हैं, वो कश्मीर घाटी में सबसे ज्यादा 93.4 फीसद नंबर हासिल करने वाली छात्रा बनी हैं. इंग्लिश, उर्दू, साइंस और सोशल साइंस में ए-1 ग्रेड हासिल की है.

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ज़ी मीडिया से फोन पर बात करते हुए सबरीना खालिक ने कहा कि 2012 में 9वीं कक्षा पास करने के बाद, अगले साल उसकी शादी हो गई और वह घर के कामों में मसरूफ रहने लगी. तीन बच्चों की जिम्मेदारियां उसकी पढ़ाई को पीछे की ओर धकेल रहे थे. लेकिन सबरीना ने हार नहीं मानी, उन्होंने बच्चों की तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हुए पढ़ाई जारी रखी. जो बिल्कुल भी आसान नहीं था. क्योंकि उनके तीनों ही बच्चे नाबालिग हैं. 

सबरीना कहती हैं कि."मैंने इस साल 10वीं की परीक्षा में बैठने का मन बना लिया था. शुरू में जो मैं पढ़ रही थी उसे बनाए रखना आसान नहीं था, लेकिन पास होने के साथ समय मैं चीजों को समझने में बेहतर हूं."

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सबरीना की शादी 10 साल पहले इसी गांव में हुई थी. शादी की वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. अब उनके तीन बच्चे हैं. सबसे बड़ी बेटी आठ साल और छोटी बेटी छह साल की है. सबसे छोटा बेटा है जो अभी गोद में ही खेलता है.

उसके पति सज्जाद अहमद डार ने कहा कि मुझे सबरीना पर फख्र है. हमारी शादी छोटी उम्र में हुई थी. उसने अपनी जिंदगी के 10 बेहतरीन साल मेरे परिवार को संभालने में दिए हैं. कई बार मुझे बुरा लगता था कि उसकी पढ़ाई छूट गई, लेकिन अब अच्छा लग रहा है. सबरीना की इस कामयाबी को देखकर गांव की दूसरी महिलाएं भी तारीफ कर रही हैं.

 

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