मस्जिद ढहाए जाने पर पर्सनल लॉ बोर्ड और वक्फ बोर्ड का सख्त रद्देअमल, हाई लेवल जांच का मुतालबा
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मस्जिद ढहाए जाने पर पर्सनल लॉ बोर्ड और वक्फ बोर्ड का सख्त रद्देअमल, हाई लेवल जांच का मुतालबा

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बाराबंकी जिले की रामसनेहीघाट तहसील में मौजूद एक सदी पुरानी मस्जिद को मुबैयना तौर पर ढहाये जाने पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए मंगलवार को हुकूमत से इस वारदात के जिम्मेदार अफसरों को मुअत्तल कर मामले की अदालती जांच करा

जफर अहमद फारूकी और मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, फाइल फोटो

लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बाराबंकी जिले की रामसनेहीघाट तहसील में मौजूद एक सदी पुरानी मस्जिद को मुबैयना तौर पर ढहाये जाने पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए मंगलवार को हुकूमत से इस वारदात के जिम्मेदार अफसरों को मुअत्तल कर मामले की अदालती जांच कराने और मस्जिद के रि-कंस्ट्रक्शन का मुतालबा किया है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के केयर टेकर सेक्रेटरी मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक बयान जारी कर कहा, 'बोर्ड ने इस बात पर नाराजगी का इजहार किया है कि रामसनेहीघाट तहसील में मौजूद गरीब नवाज मस्जिद को इंतज़ामिया ने बिना किसी कानूनी जवाज़ के सोमवार रात पुलिस के कड़े पहरे के बीच शहीद कर दिया है.

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उन्होंने कहा, 'यह मस्जिद 100 साल पुरानी है और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में इसका इंद्राज भी है. इस मस्जिद के सिलसिले में किसी किस्म का कोई झगड़ा भी नहीं है. मार्च के महीने में रामसनेहीघाट के डिप्टी कलेक्टर ने मस्जिद कमेटी से मस्जिद के आराजी से मुअल्लिक कागजात मांगे थे. इस नोटिस के खिलाफ मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल की थी और अदालत ने कमेटी को 18 मार्च से 15 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने की मोहलत दी थी, जिसके बाद एक अप्रैल को जवाब दाखिल कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद बगैर किसी जानकारी के एकतरफा तौर पर जिला इंतज़ामिया ने मस्जिद शहीद करने का जालिमाना कदम उठाया है.

मौलाना सैफुल्लाह ने बयान में कहा, 'हमारी मांग है कि हुकूमत हाई कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज से इस वाकये की जांच कराए और जिन अफसरों ने यह गैरकानूनी हरकत की है उनको मुअत्तल किया जाए. साथ ही मस्जिद के मलबे को वहां से हटाने की कार्रवाई को रोककर और ज्यों की त्यों हालत बरकरार रखे. मस्जिद की जमीन पर कोई दूसरी तामीर करने की कोशिश न की जाए. यह हुकूमत का फर्ज है कि वह इस जगह पर मस्जिद तामीर कराकर मुसलमानों के हवाले करे.

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इस बीच, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट आदर्श सिंह ने मस्जिद और उसके परिसर में बने कमरों को 'गैर कानूनी तामीर' करार देते हुए एक बयान में कहा कि इस मामले में मुतअल्लिका फरीकों  को पिछली 15 मार्च को नोटिस भेजकर मिल्कीयत के बारे में सुनवाई का मौका दिया गया था लेकिन परिसर में रह रहे लोग नोटिस मिलने के बाद फरार हो गए जिसके बाद तहसील प्रशासन ने 18 मार्च को परिसर पर कब्जा हासिल कर लिया.

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने इस मामले में दायर की गई अर्जी पर सुनवाई करते हुए पिछले दो अप्रैल को उसे खारिज कर दिया. इससे यह साबित हुआ कि वह तामीर गैर कानूनी है. इसी बुनियाद पर रामसनेहीघाट डिप्टी मजिस्ट्रेट की अदालत में अदालती अमल के तहत मामला दायर किया गया. इस सिलसिले में अदालत के जरिए जारी हुक्म पर 17 मई को ही अमल कर दिया गया था.

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इस बीच, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी इस घटना की कड़े अलफाड़ में मज़्ज़मत की है. बोर्ड के सदर जफर अहमद फारूकी ने एक बयान में कहा, 'इंतजामिया ने खास तौर पर रामसनेहीघाट के 100 साल पुरानी एक मस्जिद को गिरा कर दिया है. मैं इस गौर कानूनी और मनमानी कार्रवाई की कड़ी निंदा करता हूं.

उन्होंने कहा, 'यह कार्रवाई न सिर्फ कानून के खिलाफ है बल्कि पावल का गलत इस्तेमाल भी है. साथ ही हाई कोर्ट के जरिए पिछले 24 अप्रैल को जारी हुक्म की खुली खिलाफवर्ज़ी है.उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उस मस्जिद की बहाली, घटना की हाई लेवल जांच के लिए जल्द ही हाई कोर्ट में  मुकदमा दायर करेगा.

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