पहली ही कोशिश में IAS बनीं माज़ूर उम्मुल खेर, झुग्गी बस्‍ती से की थीं अपने सफर की शुरुआत
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पहली ही कोशिश में IAS बनीं माज़ूर उम्मुल खेर, झुग्गी बस्‍ती से की थीं अपने सफर की शुरुआत

उम्मुल खेर बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. इस बीमारी से हड्डियां नाजुक हो जाती हैं. इस मर्ज़ को मुत्तासिर अफराद ज्यादा प्रेशर बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: कहते है कि अगर लगन सच्ची हो और कुछ बनने या कर गुज़रने का जज़्बा हो तो रास्ते से तमाम रुकावटें खुद ही हट जाती हैं और कामयाबी इंसान की कदम चूमती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है राजस्थान के पाली मारवाड़ में पैदा होने वाली उम्मुल खेर ने. उम्मुल खेर माज़ूर पैदा हुईं, लेकिन उन्होंने अपनी इस माज़ूरी को कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. उन्होंने पढ़ाई को अपना नसबुलऐन बनाया और पहली ही कोशिश में यूपीएससी जैसे सख्त इम्तिहान को पास कर अपने ख्वाब को पूरा किया.

उम्मुल खेर के पिता को जब इलाके में कहीं रोज़गार नहीं मिला तो वह दिल्ली आ गए और वह यहां फेरी लगाकर सामान बेचते थे और जो पैसा मिलता था उसी से परिवार चलाते थे. कमाई ज्यादा नहीं होने की वजह से उनका परिवार दिल्ली निजामुद्दीन इलाके में एक झुग्गी-झोपड़ी में रहता था. लेकिन 2001 में यहां की झुग्गीयां उजाड़ दी गईं, जिसकी वजह से उनका पूरा खानदा बेघर हो गया.

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इस हादसे के बाद इस परिवार को मजबूरी में त्रिलोकपुरी में किराए का कमरा लेना पड़ा. इसी दौरना उम्मुल खेर ने फैसला किया कि वो बच्चों को ट्यूशन पढ़ाएंगी. ट्यूशन पढ़ाने का नतीजा यह हुआ कि उनके परिवार और पढ़ाई का खर्च निकलने लगा. इस दौरान वह ट्यूशन भी पढ़ाती रहीं और फिर इसी बीच उनका एडमिशन दिल्ली यूनिवर्सिटी में हो गया. 

उम्मुल खेर ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की, फिर वह जेएनयू (जवाहर लाल यूनिवर्सिटी) चली गईं. उम्मुल खेर वहां रिसर्च के साथ-साथ आईएएस की तैयारी में जुट गईं. इस दौरान उन्होंने यूपीएससी का इम्तिहान दिया, तो उन्हें 420वीं रैंक मिली. अपनी कामयाबी पर उन्होंने कहा कि कोई स्टूडेंट अगर मेहनत के साथ इम्तिहान की तैयारी करता है तो उसे कामयाबी से हमकिनार होने से उसे कोई नहीं रोक सकता है.

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फ्रेजाइल डिसऑर्डर से मुत्तासिर हैं उम्मुल
गौरतलब है कि उम्मुल खेर बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. इस बीमारी से हड्डियां नाजुक हो जाती हैं. इस मर्ज़ को मुत्तासिर अफराद ज्यादा प्रेशर बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. हल्की सी भी चोट से हड्डियों के टूट जाने का खतरा रहता है. यही वजह है कि उम्मुल खेर अब तक 15 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी करवा चुकी हैं.

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