इस कानून के तहत छिना आज़म खान से वोट डालने का हक, बाला साहेब पर भी लगी थी पाबंदी
Advertisement

इस कानून के तहत छिना आज़म खान से वोट डालने का हक, बाला साहेब पर भी लगी थी पाबंदी

Azam Khan: सामजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आज़म खान दिन ब दिन मुश्किलों में घिरते जा रहे हैं. पहले सजा हुई, फिर सदस्यता गई और अब वोट डालने का हक भी छिन गया. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि किस कानून के तहत वोट डालने का हक छीन लिया जाता है. 

File PHOTO

Azam Khan: यूपी में तमाम सियासी सरगर्मियों के दरमियान एक बड़ी ख़बर ये भी सामने आई कि समाजवादी पार्टी के लीडर आज़म खान से वोटिंग का हक़ छीन लिया गया है. इसके मायने ये हैं कि रामपुर सदर उपचुनाव में आज़म खान वोट नहीं डाल सकेंगे. आजम खान को पिछले महीने ही हेट स्पीच के मामले में तीन साल की सज़ा सुनाई गई है. अपनी इस रिपोर्ट के ज़रिए हम आपको बताएंगे उस कानून के बारे में जिसके तहत आज़म खान से वोट देने का हक़ छिन गया.

आइए जानते हैं कि किसी शख़्स से वोटिंग का अधिकार कब छीना जाता है? आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग ने लोक प्रतिनिधि कानून की धारा 16 के तहत ये कार्रवाई की है. रामपुर सदर सीट के उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने आज़म खान का वोट का हक छीनने के लिए इलेक्शन कमिशन को ख़त लिखा था. 27 अक्टूबर को रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आज़म खान को हेट स्पीच के मामले में 3 साल की सजा और 2 हजार रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई थी. जिसके बाद उनकी असेंबली की सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी और अब उनसे वोट देने का हक भी छीन लिया गया है. वाज़े हो 2019 में आज़म खान ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया था और इस मामले में रामपुर में केस दर्ज किया गया था.

दरअसल आज़म खान को आईपीसी की धारा 153A (दो पक्षों में दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (1) (सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ने वाला बयान देना) और लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 125 के तहत कुसूरवार पाया गया था. कानूनन अगर कोई एमएलए या एमपी या विधान परिषद का मेंबर किसी मामले में क़ुसूरवार साबित हो जाता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है और उसके 6 साल तक चुनाव चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है. लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 16 कहती है कि अगर कोई शख़्स भ्रष्टाचार या जुर्म से जुड़ा है तो उसका वोट देने का अधिकार छीना जा सकता है. इसकी धारा 16 (2) में ये भी तजवीज़ है कि अगर किसी एमएलए या एमपी की सदस्यता रद्द होती है तो वोटर लिस्ट से उसका नाम तुरंत काट दिया जाए.

क़ानूनन वोट देने का अधिकार कब छीना जाता है? ये जानने के लिए कानून के अध्याय-4 का ज़िक्र करते हैं. इसमें बताया गया है कि अगर किसी शख्स को आईपीसी की धारा 171E या 171F या लोक प्रतिनिधि एक्ट की धारा 125 या 135 के तहत क़ुसूरवार ठहराया गया है, तो उसका वोट देने का हक छिन जाता है. यहां ये जानना ज़रुरी है कि आज़म खान को लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 125 के तहत भी क़ुसूरवार ठहराया गया है. ये धारा कहती है कि अगर कोई शख्स अलग-अलग धर्म, जाति, समुदाय या ज़ुबान की बुनियाद पर दुश्मनी या नफ़रत को बढ़ावा देता है या ऐसी कोशिश करता है, तो उसे 3 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है. लोक प्रतिनिधि कानून के तहत अगर शख़्स को क़ुसूरवार ठहराया गया है तो उससे 6 साल तक वोट देने का अधिकार छीन लिया जाता है.

बाल ठाकरे पर भी लगी थी पाबंदी
ये भी जानलें कि वोट देने का हक़ खो देने वाले आज़म ख़ान इकलौते ऐसा नेता नहीं हैं, इलेक्शन कमिशन ने कभी शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के वोट डालने और चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी थी. बाल ठाकरे पर अक्सर भड़काऊ बयान देने और दंगे भड़काने के आरोप लगते रहते थे. इसी वजह से इलेक्शन कमिशन ने उन पर बैन लगा दिया था.

ZEE SALAAM LIVE TV

Trending news