Uttar Pradesh News: भूलेमऊ गांव के रहने वाले 35 साल के श्रीचंद्र ने बुधवार को पुरवा के सीओ दीपक सिंह पर ‘‘अन्याय’’ करने का इल्जाम लगाते हुए एसपी ऑफिस के अंदर कथित रूप से खुद पर केरोसीन डालकर आग लगा ली थी. लेकिन वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे जिला हॉस्पीटल में भर्ती कराया.
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Unnao News: उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में पुलिस अफसर (सीओ) पर ‘‘अन्याय’’ करने का इल्जाम लगाते हुए एसपी ऑफिस के अंदर कथित तौर पर दलित युवक ने अपने शरीर में आग लगी थी.जिसके बाद पुलिस ने उन्हें इलाज के लिए हॉस्पीटल में भर्ती कराया था. लेकिन उस युवक की आज इलाज के दौरान मौत हो गई. इसकी जानकारी पुलिस ने शुक्रवार ( 29 दिसंबर ) को दी.
इस बीच, एसपी ने सीओ को वहां हटाकर अपने ऑफिस से संबद्ध ( Associated ) कर दिया है. वहीं, युवक के शव को लखनऊ में पोस्टमार्टम कराने के बाद तीन बजे उनके गांव लेकर पहुंचा. लेकिन आक्रोशित ग्रामीणों और परिवार वालों ने पुरवा-अचलगंज रोड पर जाम लगा दिया. हालांकि, सीनियर अफसरों के आश्वासन के बाद उन्होंने जाम खोला.
यह है पूरा मामला
बता दें कि भूलेमऊ गांव के रहने वाले 35 साल के श्रीचंद्र ने बुधवार को पुरवा के सीओ दीपक सिंह पर ‘‘अन्याय’’ करने का इल्जाम लगाते हुए एसपी ऑफिस के अंदर कथित रूप से खुद पर केरोसीन डालकर आग लगा ली थी. लेकिन वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे जिला हॉस्पीटल में भर्ती कराया. हालांकि, श्रीचंद की गंभीर हालत को देखते हुए उसे लखनऊ रेफर कर दिया, जहां उसकी आज मौत हो गई.
परिवार वालों ने शव को रोड पर रखकर पुरवा के सीओ और निरीक्षक के खिलाफ नाराजगी प्रकट की. साथ ही मरने वाले की बीवी के लिए मुआवजे की मांग की. परिवार वालों ने लगभग तीन घंटे तक रोड जाम रखा. इस बीच, पुरवा के एसडीएम रणवीर सिंह ( Ranveer Singh SDM ) और पुलिस की तरफ से सीओ शहर ने परिवार वालों से बात कर आश्वासन दिया.इसके बाद जाम खोलने के लिए सभी तैयार हुए.
एसडीएम ने समझौते के बाबत बताया,"पीड़ित परिवार को सरकारी योजनाओं तहत हर संभव मदद की जाएगी".
वहीं, एसपी सिद्धार्थ शंकर मीणा ( Siddharth Shankar Meena ) की तरफ से जारी बयान में कहा, "सीओ दीपक कुमार सिंह को पुरवा से हटाकर पुलिस दफ्तर से संबद्ध कर दिया गया है. वहीं, पुरवा के कोतवाली प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) सुरेश सिंह को हटाकर रिट प्रकोष्ठ का प्रभारी बनाया गया है".
मृतक के भाई ने लगाया ये इल्जाम
मरने वाले के भाई मूलचंद्र ने कहा कि न्याय की जिस लड़ाई को भाई ने शुरू किया था, उसे जारी रखा जाएगा. मूलचंद्र ने इल्जाम लगाया कि गांव में उनकी पुश्तैनी जमीन पर कुछ लोग कब्जा कर रहे थे. जिसके बाद भाई ने मना किया था, इसी को लेकर उन लोगों ने अक्टूबर में कथित तौर पर हमला भी किया था, इस मामले को लेकर 18 अक्टूबर को मुकदमा भी दर्ज कराया था. मूलचंद्र ने इल्जाम लगाते हुए कहा, ‘‘पुलिस क्षेत्राधिकारी दीपक सिंह ने कुछ दिन बाद दूसरे पक्ष के लोगों से रिश्वत लेकर श्रीचंद और उसके पक्ष के कुछ लोगों पर महिलाओं से अभद्रता और मारपीट के फर्जी आरोप में मुकदमा दर्ज कर दिया. इससे परेशान होकर ही उनके भाई ने यह कदम उठाया था.’’