Wasim Barelvi Hindi Shayari: वसीम बरेलवी नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज (एनसीपीयूएल) के वाइस चेयरमैन हैं. वह 2016 से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य भी हैं.
Trending Photos
Wasim Barelvi Hindi Shayari: वसीम बरेलवी उर्दू के मशहूर शायर हैं. उनका असली नाम जाहिद हुसैन है. उनकी पैदाइश उत्तर प्रदेश के बरेली में 18 फरवरी 1940 को हुई थी. वसीम बरेलवी की गई गजलों को मशहरू गायकार जगजीत सिंह ने गाया है. वसीम बरेलवी को "फ़िराक़ गोरखपुरी अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार", कालिदास स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है. इसके अलावा वसीम बरेलवी को 'बेगम अख्तर कला धर्मी पुरस्कार', नसीम-ए-उर्दू पुरस्कार से नवाजा गया.
मैं चुप रहा तो और ग़लत-फ़हमियाँ बढ़ीं
वो भी सुना है उस ने जो मैं ने कहा नहीं
मैं इस उमीद पे डूबा कि तू बचा लेगा
अब इस के बा'द मिरा इम्तिहान क्या लेगा
रख देता है ला ला के मुक़ाबिल नए सूरज
वो मेरे चराग़ों से कहाँ बोल रहा है
लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ नहीं होता
हमारे दौर में आँसू ज़बाँ नहीं होता
इन्हें तो ख़ाक में मिलना ही था कि मेरे थे
ये अश्क कौन से ऊँचे घराने वाले थे
तमाम दिन की तलब राह देखती होगी
जो ख़ाली हाथ चले हो तो घर नहीं जाना
आज पी लेने दे साक़ी मुझे जी लेने दे
कल मिरी रात ख़ुदा जाने कहाँ गुज़रेगी
यह भी पढ़ें: Zafar Iqbal Hindi Shayari: हिंदी में पढ़ें ज़फ़र इक़बाल के रोमांटिंक शेर
जिस्म की चाह लकीरों से अदा करता है
ख़ाक समझेगा मुसव्विर तिरी अंगड़ाई को
सफ़र के साथ सफ़र के नए मसाइल थे
घरों का ज़िक्र तो रस्ते में छूट जाता था
मोहब्बत के घरों के कच्चे-पन को ये कहाँ समझें
इन आँखों को तो बस आता है बरसातें बड़ी करना
वो ग़म अता किया दिल-ए-दीवाना जल गया
ऐसी भी क्या शराब कि पैमाना जल गया
मैं उस को पूज तो सकता हूँ छू नहीं सकता
जो फ़ासलों की तरह मेरे साथ रहता है
'वसीम' देखना मुड़ मुड़ के वो उसी की तरफ़
किसी को छोड़ के जाना भी तो नहीं आया
'वसीम' ज़ेहन बनाते हैं तो वही अख़बार
जो ले के एक भी अच्छी ख़बर नहीं आते
Zee Salaam Live TV: