Kerala Wayanad Landslide: वायनाड में हुई लैंडस्लाइड में अब तक 156 लोगों की मौत हो चुकी है और कई दर्जन लोग घायल हैं. सरकार ने स्कूलों की छुट्टी कर दी है. पढ़ें पूरी खबर
Trending Photos
Kerala Wayanad Landslide: वायनाड में हालात अभी भी संजीदा बने हुए हैं. केरल के वायनाड जिले में लैंडस्लाइड की सीरीज़ में मरने वालों की तादाद 156 हो गई है, जबकि सैकड़ों अन्य घायल और फंसे हुए हैं. लैंडस्लाइड की वजह से घरों और सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है, पेड़ उखड़ गए हैं और जल निकायों में पानी भर गया है. लापता लोगों को बचाने और उनका पता लगाने की कोशिश अभी भी सभी उपलब्ध संसाधनों के साथ जारी हैं.
केरल डिज़ास्टर मैनेजमेंट (केएसडीएमए) के मुताबिक, अग्निशमन और बचाव, नागरिक सुरक्षा, एनडीआरएफ और स्थानीय आपातकालीन प्रतिक्रिया दल के सदस्य बचाव अभियान में शामिल हैं. डीएससी सेंटर कन्नूर से लगभग 200 भारतीय सेना के जवान और कोझिकोड से 122 टीए बटालियन भी घटनास्थल पर मौजूद हैं. इसके साथ ही वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर, एक एमआई-17 और एक एएलएच भी बचाव अभियान का समन्वय कर रहे हैं.
तकरीबन 120 से ज्यादा लोगों का वायनाड के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के मुताबिक, 116 लाशों का पोस्टमार्टम पूरा हो चुका है. आपदा और लगातार बारिश को देखते हुए बुधवार, 31 जुलाई को सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे.
ओनमनोरमा की रिपोर्ट के मुताबिक, 11 जिलों - कासरगोड, कन्नूर, कोझीकोड, वायनाड, मलप्पुरम, पलक्कड़, त्रिशूर, इडुक्की, एर्नाकुलम, अलपुझा और पथानामथिट्टा में भी छुट्टी का ऐलान किया गया है.
ओडिशा सीएमओ ने मंगलवार को कहा कि वायनाड में हुई लैंडस्लाइड में राज्य के दो लोग लापता हैं. सीएमओ ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "राज्य सरकार वायनाड में बड़े पैमाने पर लैंडस्लाइड के मद्देनजर केरल सरकार के साथ नियमित संपर्क में है, जहां कई लोगों की जान चली गई. राज्य की डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी से मिली जानकारी के मुताबिक, बचाए गए दो ओडिया लोगों का इलाज चल रहा है, जबकि दो अन्य अभी भी लापता हैं."
बाढ़ में बहकर आए कई पीड़ितों की लाशें नीलांबुर गांव में चलियार नदी के पानी में पाई गई हैं. जो मुंडक्कई से सात किलोमीटर दक्षिण में है. इस आपदा के भयावह वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आए. स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, अधिकांश पीड़ित चाय बागानों में काम करते थे और मुख्य सड़कों के किनारे या बागानों के नीचे बने छोटे-छोटे घरों में रहते थे.