Rupauli bypoll results 2024: बिहार के रूपौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव का परिणाम आ गया है. पूर्णिया लोकसभा के अंतर्गत आने वाले इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह एनडीए कैंडिडेट कलाधर मंडल को हराकर सबको चौंका दिया है.
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Rupauli bypoll results 2024: बिहार के रूपौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव का परिणाम आ गया है. पूर्णिया लोकसभा के अंतर्गत आने वाले इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह एनडीए कैंडिडेट कलाधर मंडल को हराकर सबको चौंका दिया है. शंकर सिंह ने जदयू के उम्मीदवार को 8 हजार से ज्यादा मतों से पछाड़कर जीत दर्ज की.
वहीं, राजद कैंडिडेट बीमा भारती करीब 40000 हजार मतों के साथ तीसरे नंबर है. शंकर सिंह को 67782 मत मिले हैं, जबकि छठे राउंड तक आगे रहे कलाधर मंडल को 59578 वोट मिले हैं. वहीं, नोटा पर भी जमकर बटन दबे हैं. नोटा 5,675 वोट लेकर चौथे स्थान पर है.
शंकर सिंह की जीत पर रूपौली में जश्न
सीमांचल में अब राजद मुसलमानों की मजबूरी नहीं
शंकर सिंह को इस चुनाव में मिली जीत का श्रेय इलाके के मुस्लिम वोटर्स को भी जाता है. मुस्लिम वोटर्स ने इस बार राजद उमीदवार से ज्यादा आज़ाद उमीदवार पर भरोसा जताकर उन्हें एक मौका दिया है. हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम वोटर्स ने एकजुट होकर आज़ाद उमीदवार पप्पू यादव को वोट देकर उन्हें विजय बनाया था. इन दोनों चुनाव से ये बात भी साफ़ हो चुका है कि सीमांचल में अब राजद मुसलमानों की मजबूरी नहीं है.
बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु समेत सात राज्यों में उपचुनाव के लिए 10 जुलाई को मतदान हुआ था. रूपौली विधानसभा से चुनावी मैदान में टोटल 11 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी. चुनाव आयोग के मुताबिक, इस चुनाव में कुल 13 राउंड की गिनती होनी है.
कौन हैं शंकर सिंह?
बिहार और सीमांचल की सियासत में शंकर सिंह की पहचान बाहुबली नेता के तौर पर होती रही है. शंकर सिंह लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर साल 2005 में जीत दर्ज कर पहली बार विधानसभा पहुंचे. उन्होंने फरवरी 2005 से नवंबर 2005 तक रूपौली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. लेकिन खंडित जानदेश मिलने के बाद बिहार में किसी भी पार्टी की सरकार नहीं बन पाई. ऐसे में फरवरी 2005 में दोबारो चुनाव हुआ जिसमें शंकर सिंह को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, शंकर सिंह रूपौली से लगातार अपनी किस्मत आजमाते रहे. 20 साल बाद शंकर सिंह ने जीत हासिल की.
उत्तर बिहार लिबरेशन आर्मी के कमांडर के रूप में जाने जाने वाले शंकर सिंह क्षेत्र में सियासी रूप से काफी एक्टिव रहे. साल 2000 में वह लिबरेशन आर्मी ( राजपूत मिलिशिया ) के संस्थापक बूटन सिंह के उत्तराधिकारी बने. बता दें कि बूटन सिंह की हत्या पूर्णिया अदालत में अज्ञात हमलावरों ने कर दी थी. शंकर सिंह पर मतदाताओं को डराने-धमकाने और बूथ कैप्चरिंग समेत विभिन्न गतिविधियों में शामिल रहने का भी आरोप है.