क्या चिराग पासवान तेजस्वी से मिलाएंगे हाथ? Zee Salaam के साथ इंटरव्यू में दिया ये इशारा
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क्या चिराग पासवान तेजस्वी से मिलाएंगे हाथ? Zee Salaam के साथ इंटरव्यू में दिया ये इशारा

चिराग पासवान ने इंटरव्यू के दौरान तेजस्वी से हाथ मिलाने के सवाल कहा कि तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव ने मुझे जो ऑफर दिया है, मैं उसकी इज्जत और सम्मान करता हूं, लेकिन इस वक्त मेरी प्राथमिकताएं बिल्कुल अलग हैं.

चिराग पासवान  ज़ी सलाम के नुमाइंदे आसिफ इकबाल के साथ, फाइल फोटो

नई दिल्ली/ Ashif Aqbal: लोक जनशक्ति पार्टी के कौमी सदर चिराग पासवान ने ज़ी मीडिया से कई सारे मुद्दे पर खुलकर बात की और अपनी बेबाक राय रखी. चिराग पासवान ने सबसे पहले कहा कि जो भी चाचा ने और भाई ने किया वह मैंने जिंदगी में कभी सोचा नहीं था और मुझे ना ही यह उम्मीद थी कि मेरे चाचा और मेरे भाई मेरे साथ इस तरह का छल करेंगे.

चिराग पासवान ने इंटरव्यू के दौरान तेजस्वी से हाथ मिलाने के सवाल कहा कि तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव ने मुझे जो ऑफर दिया है, मैं उसकी इज्जत और सम्मान करता हूं, लेकिन इस वक्त मेरी प्राथमिकताएं बिल्कुल अलग हैं. क्योंकि अभी मैं घर की लड़ाई में मसरूफ हूं. पहले में इस लड़ाई को जीत लूं, फिर आगे देखेंगे.'

बिहार में लोकसभा चुनाव से पहले होंगे विधानसभा चुनाव
चिराग पासवान ने कहा, 'मैं अब यह मानकर चल रहा हूं कि बिहार में लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव होगा क्योंकि नीतीश कुमार अपने मंत्रालय के काम में कम और पार्टी के काम में ज्यादा व्यस्त नजर आते हैं, जिससे उन्हें भी इस बात का साफ अंदाजा हो चुका है कि बिहार में उन्हें एक बार फिर से चुनाव में जाना पड़ेगा और गठबंधन की राजनीति चुनाव से पहले तय की जाती है आगे आने वाले वक्त में क्या होगा यह कहना अभी मुश्किल है.

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'बिहार में बीजेपी सच्चाई से मुंह मोड़ रही है'
चिराग पासवान ने कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि बिहार की बीजेपी किस भ्रम में जिंदा है. उसे क्या सच्चाई से मुंह मोड़ना अच्छा लगता है. पूरे बिहार की जनता ने जिस वज़ीरे आला को और जिस पार्टी को सिरे से नकार दिया हो उसे बीजेपी जबरजस्ती मुख्यमंत्री बनाने पर तुली पड़ी है और यह जानते हुए कि बिहार में इस वक्त नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर बिहार की जनता ने खारिज कर दिया है फिर भी बिहार बीजेपी के ऐसे बहुत सारे नेता हैं जो आज भी नीतीश कुमार के चरणों में दंडवत कर रहे हैं.

चिराग पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार ने जो किया है वह उन्हें यही उसका हिसाब देना पड़ेगा. मेरे पिताजी ने साफ तौर पर मुझे पहले ही कह दिया था कि मुझे आगे की लड़ाई बड़ी लड़नी पड़ेगी और मैं इसके लिए तैयार हूं.

मैंने कभी सत्ता के लालच में कोई फैसला नहीं किया
चिराग पासवान ने कहा, 'मैं दावे से कह सकता हूं कि यह चिराग कई आंधियों पर भारी पड़ेगा. नीतीश कुमार को यह बात समझ में आएगी, क्योंकि मैंने कभी सत्ता के लालच में कोई फैसला नहीं किया, वरना आप खुद बताइए कि मुझे सत्ता में आने से कौन रोक सकता था मैंने अगर गठबंधन ने 15 सीटें ले ली होती तो मेरे बिहार में भी मंत्री होते मैं खुद केंद्र मंत्री होता और आराम की जिंदगी गुजर बसर कर रहा होता, लेकिन मैंने लड़ाई लड़ी और बड़ी लड़ाई लड़ी और यह लड़ाई जीतूंगा भी.'

'मेरी लड़ाई बिहार के लिए, बिहार की आवाम के लिए है'
चिराग पासवान ने कहा कि मेरी लड़ाई बिहार के लिए, बिहार की आवाम के लिए है. बिहार की तरक्की के लिए है. बिहार में असली विकास के लिए है. बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए है. अब जरा बताइए कि 15 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं और विकास की गाल बजा रहे हैं नीतीश कुमार. लेकिन एक आंख का अस्पताल तक बिहार में मौजूद नहीं है, जहां वह खुद का मैट्रिक का ऑपरेशन करा सके.

'चाचा ने ज़रूरत के वक्त अकेला छोड़ दिया'
चिराग पासवान ने बताया कि 'मेरी मां और मैंने चाचा से बहुत बार बात करनी चाही, उनको मनाने की कोशिश की,  गिले-शिकवे दूर करने चाहे, लेकिन चाचा ने पिताजी के देहांत के बाद कभी भी खुद को इस घर का सदस्य नहीं समझा, बल्कि मुझे जिस वक्त उनकी ज्यादा ज़रूरत थी, उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया. 

'चाचा ने मुझे नहीं, मेरे पिता को धोखा दिया है'
चिराग पासवान ने कहा कि चाचा ने मुझे नहीं, बल्कि मेरे पिता को धोखा दिया है. अगर आज उनका अपना बेटा ऐसा करता तो क्या उसको पार्टी से चाचा निकाल देते.

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'आगे बढ़ कर लड़ाइ लड़ना मैंने अपने पिता से सिखा'
चिराग पासवान ने कहा, 'मेरे पिता ने मुझे बहुत कुछ बताया था. आखिरी दिनों में उन्होंने बहुत कुछ समझाया. मुझे कहा कि अगर आगे बढ़ोगे तो बहुत लड़ाई लड़नी पड़ेगी. कभी अकेला रहना पड़ेगा, लेकिन याद रखना जो दुख में तुम्हारे साथ होगा. वह तुम्हारे साथ लंबी दूरी तय करेगा. बिहार की आवाम हर वक्त खड़ी रहती है. मेरे पिता ने कहा कि मेरी राजनीति 1989 से लोग जानते हैं, जब मैं मंत्री हुआ था लेकिन किसी ने 1969 से लेकर 1989 तक की मेरी उस लड़ाई को मेरी उस संघर्ष को नहीं जाना. मैंने 20 साल तक संघर्ष किया था, तब जाकर मुझे 1989 मंत्री बनाया गया. रामविलास पासवान ऐसे ही नहीं बना. उसने एक लंबी राजनीति का सफर तय किया आखिरी वक्त में उन्होंने बहुत सारी बातें गुरु के नाते मुझे समझाया.'

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