Kargil Vijay Diwas: अपनी कुर्बानियों को सहेजकर नहीं रखना जानता मुसलमान?
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Kargil Vijay Diwas: अपनी कुर्बानियों को सहेजकर नहीं रखना जानता मुसलमान?

Kargil Vijay Diwas 2022: आज हर हिंदुस्तानी कारगिल विजय दिवस मना रहा है. इस मौके पर उन जाबांज़ों को श्रद्धांजलि पेश की जा रही है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर हम लोगों के भविष्य को सुरक्षित बनाया.

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Kargil Vijay Diwas: आज हिंदुस्तान में कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से तकरीबन दो महीने चली जंग में 500 से ज्यादा हिंदुस्तानियों ने अपनी जान गंवाई, इसके अलावा करीब 1300 से ज्यादा जवान जख्मी हुए थे. शहीद होने वाले जवानों में यूं तो हर मज़हब के जवान शामिल थे और सभी ने अपने-अपने जवानों को अपनी यादों में संजोय रखा है. लेकिन मुसलमानों को अपनी उपलब्धियां शायद सेहजनी नहीं आती. 

इस जंग में बहुत सारे मुस्लिम जवानों ने अपनी जान का नजराना पेश किया लेकिन आज अगर किसी से नाम पूछा जाए तो मुश्किल से ही कोई बता पाएगा. कारगिल की ऊंची और बर्फीली पहाड़ियों पर जब हिंदुस्तानी जांबाज पाकिस्तानी फौज को धूल चटा रहे थे तो उनमें कैप्टन हनीफ, हवलदार अब्दुल करीब-ए, एमएच अनिरुद्दीन, हवलदार अब्दुल करीम-बी, लांस नायक, नायक डीएम खान,  यूपी के लांस नायक अहमद अली, जीके के लांस नायक जीए खान, लांस नायक लियाकत अली, जाकिर हुसैन, नसीर अहमद और एसएम वली जैसे बहादुर भी शामिल थे. लेकिन किसको याद हैं ये नाम?

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यहां यह बात भी काबिले जिक्र है कि करगिल जंग में छह मुस्लिम ग्रेनेडियर्स भी पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए थे. इन जांबाजों में  MI खान, रियासत अली, आबिल अली खान, जाकिर हुसैन, जुबैर अहमद और असन मोहम्मद उल्लेखनीय हैं. बता दें कि इस संबंध में जब हम इंटरनेट पर कुछ जानने की कोशिश करते हैं तो बहुत जानकारी ही मिल पाती है. क्योंकि इस कुर्बानी को अगली नस्लों तक पहुंचाने के लिए शायद कोई काम नहीं किया गया. 

क्या है कारगिल विजय दिवस:
साल 1971 के बाद से हिंदुस्तान और पाकिस्तान के दरमियान बीच-बीच में फौजी संघर्ष होता रहा है. कहा यह भी जाता है कि दोनों मुल्कों में एटमी टेस्ट की वजह से तनाव ज्यादा बढ़ गया था. जिसके बाद दोनों मुल्कों ने एक समझौते पर लाहौर में दस्तखत भी किए लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकत से बाज नहीं और उसने अपने फौजियों को छिपाकर LOC पार करने की गुस्ताखी की. इन पाकिस्तानी फौजिया का काम सियाचिन से हिंदुस्तान फौज को हटाना, कश्मीर-लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना था. 

भारत ने हालात को शांति से संभालने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तान बाज नहीं आया जिसके बाद हिंदुस्तानी सरकार ने ऑपरेशन विजय चलाया और तकरीबन 2 लाख फौजियों को भेजा. तकरीबन 2 महीने तक चली इस जंग में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि इस जंग में भारत को भी नुकसान हुआ था. भारत के 500 से ज्यादा जवान इस जंग में शहीद हुए थे. इसके अलावा 1300 से 1400 के बीच जख्मी भी हुए थे. 

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