United Nations: यूनाइडेट नेशन ने एक बार फिर साफ़ कर दिया है कि इस्लामिक स्टेट चरमपंथियों (ISIS) का ख़तरा अब भी क़ायम है. यूएन के आतंकवाद-रोधी मामलों के चीफ़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस्लामिक स्टेट में चरमपंथियों का ख़तरा अब भी बरक़रार है.
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ISIS: यूनाइडेट नेशन ने साफ कर दिया है कि इस्लामिक स्टेट चरमपंथियों (ISIS) का ख़तरा अब भी क़ायम है. यूएन के आतंकवाद-रोधी मामलों के चीफ़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस्लामिक स्टेट में चरमपंथियों का ख़तरा अब भी क़ायम है और संघर्ष वाले क्षेत्रों के आसपास यह और बढ़ गया है. साथ ही अफ्रीका के मध्य, दक्षिण और सहेल क्षेत्रों में इसका बढ़ना ख़ास तौर पर चिंता का विषय है. अवर महासचिव व्लादिमीर वोरोन्कोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि 'दाएश' नाम से पहचाना जाने वाला यह ग्रुप इंटरनेट, सोशल मीडिया, वीडियो गेम और गेमिंग मंच का इस्तेमाल लोगों को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने के लिए कर रहा है.
पैसे जमा करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल
उन्होंने निगरानी और टोही के लिए डिजिटल मंच के साथ-साथ पैसे जमा करने के लिए ड्रोन के लगातार इस्तेमाल का ज़िक्र करते हुए कहा कि "दाएश का नई और उभरती प्रौद्योगिकियां का इस्तेमाल करना फिक्र की एक अहम वजह बना हुआ है". वोरोन्कोव ने कहा कि इस्लामिक स्टेट और उसके सहयोगियों से बड़े जोखिम का ख़तरा क़ायम है, जिसमें अफ्रीक़ा के कुछ हिस्सों में उसका लगातार बढ़ना शामिल है. यह इससे निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जो न केवल सुरक्षा पर, बल्कि संघर्षों को रोकने के तरीक़ों पर भी फोकस हो.
ख़तरा अभी बरक़रार है
इस्लामिक स्टेट ने सीरिया और इराक़ में एक बड़े क्षेत्र में विद्रोह छेड़ दिया था, जहां उसने 2014 में क़ब्ज़ा कर लिया था. तीन साल के ख़ूनी संघर्ष के बाद 2017 में चरमपंथी समूह को औपचारिक रूप से इराक़ में हार का सामना करना पड़ा. इस संघर्ष में हज़ारों लोगों की जान चली गई थी और कई शहर तबाह हो गए थे, लेकिन इसके 'स्लीपर सेल' दोनों मुल्कों में बने हुए हैं. 'ह्यूमन राइट्स वॉच' की दिसंबर में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक़, तक़रीबन 65,600 संदिग्ध इस्लामिक स्टेट के मेंबर और उनके परिवार अब भी अमेरिकी सहयोगी कुर्द समूहों के ज़रिए चलाए जा रहे नार्थ-वेस्ट सीरिया के कैंपों और जेलों में बंद हैं.
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