Kargil Vijai diwas: पूरा देश आज कारगिल दिवस मना रहा है. ऐसे आज हम आपको एक ऐसे योद्धा के बारे में बताएंगे जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी मेजर का सिर कलम कर विजय हासिल की थी.
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Kargil Vijai diwas 2022: दिगेंद्र कुमार 'कोबरा ' वह नाम है जिसे हर कारगिल विजय दिवस पर याद किया जाता है. उन्होंने कारगिल वार में 48 पाकिस्तानी सैनिकों को मारकर देश को कारगिल वार में बड़ी कामयाबी दिलाई थी. उन्हें इसलिए भी याद किया जाता है कि युद्ध के दौरान उनके पैर में 5 गोलियां लगीं थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और पाकिस्तानी मेजर की गर्दन काटते हुए तोलोलिंग की चोटी फतह की. उन्होंने यहां 13 जून को तिरंगा लहरा दिया था. दिगेंद्र कुमार 'कोबरा' देश के ऐसे नायक हैं जिन्हें 30 साल की उम्र में ही उस वक्त के राष्ट्रपति केआर नारायणन ने देश के दूसरे सबसे बड़े अवॉर्ड महावीर चक्र से नवाजा था.
दिगेंद्र कुमार 'कोबरा' ही वह शख्स हैं जिन्होंने कारगिल युद्ध में तिरंगा फहरा कर भारत को पहली जीत दिलाई थी. उन्होंने कारगिल युद्ध के वक्त जम्मू कश्मीर के तोलोलिंग पहाड़ी पर भारत का परचम लहरा कर इसे पाकिस्तानी घुसपैठियों से आजाद कराया था. युद्ध के दौरान उन्हें पांच गोलियां लगीं थीं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी थी. उन्होंने पाकिस्तानी मेजर का सिर कलम करते हुए 48 पाक घुसपैठियों को मार गिराया था.
दिगेंद्र कुमार राजस्थान में साल 1969 में जन्मे. वह साल 1985 में राजस्थान राइफल्स 2 में भर्ती हुए. कारगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग पहाड़ी पर कब्जा करना जरूरी था, इसलिए तोलोलिंग पहाड़ी फतह करने का जिम्मा राजपूताना राइफल्स को दिया गया. इसके बाद इस टुकड़ी से तोलोलिंग पहाड़ी फतह करने के बारे में पूछा गया. तभी दिगेंद्र ने कहा कि तोलोलिंग फतह करने का उनके पास एक बेहतरीन आईडिया है, जिससे जीत उन्हें ही मिलेगी.
तोलोलिंग को फतह करना आसान नहीं था. वहां पाक सेना ने 11 बंकर बना रखे थे. फिर बर्फ की वजह से पहाड़ी पर चढ़ना मुश्किल था लेकिन दिगेंद्र ने एक हथगोला फेंका जिससे पाकिस्तानी सेना का एक बंकर ध्वस्त हो गया. इसके बाद पाक सेना की तरफ से उन पर फायरिंग होने लगी. गोलीबारी में दिगेंद्र के सीने में तीन गोलियां लगीं. इसमें उनका पैर भी जख्मी हो गया. उन्होंने हार न मानते हुए पाकिस्तान के 10 बंकरों पर 18 हथगोले फेंके और सारे बंकर ध्वस्त कर दिए.
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इसी दौरान दिगेंद्र ने पाकिस्तानी मेजर अनवर खान का सिर धड़ से अलग किया. इसके बाद वह लड़खड़ाते हुए चोटी पर पहुंचे और वहां तिरंगा फहरा दिया.
दिगेंद्र को भारते के बेस्ट कोबरा कमांडो के तौर पर जाना जाता है. कारगिल विजय के बाद उन्हें उस वक्त के राष्ट्रपति डॉक्टर केआर नारायणन ने 15 अगस्त 1999 को महावीर चक्र से नवाजा गया. वह साल 2005 में सेना से रिटायर हुए.
साल 1999 में भारतीय सेना ने करगिल में पाकिस्तानी फौजियों को शिकस्त देते हुए जीत का तिरंगा फहराया था. भारत और पाकिस्तान फौजियों के दरमिया 8 मई 1999 से 26 जुलाई तक तकरीबन ढाई महीने तक युद्ध चला था. इस युद्ध में जीत दिलाने में दिगेंद्र सिंह का बड़ा रोल रहा. आज यानी 26 जुलाई साल 2022 को कारगिल विजय दिवस के 23 साल पूरे हो गए हैं.
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