AFGHAN CRISIS: तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसे सरकार के तौर पर मान्यता देने की अपील की
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AFGHAN CRISIS: तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसे सरकार के तौर पर मान्यता देने की अपील की

साथ ही तालिबान ने चीन को खुश करने की कोशिश में कहा कि चीन युद्ध से तबाह देश में उसके शासन के तहत एक ‘‘बड़ी भूमिका’’ निभा सकता है. तालिबान के तर्जुमान सुहैल शाहीन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ‘‘अफगान लोगों की इच्छा का सम्मान करना चाहिए’’ और आधिकारिक तौर पर उनके समूह को मान्यता देनी चाहिए.

सुहैल शाहीन, प्रवक्ता तालिबान

बीजिंगः तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से देश और विदेश में उसके खिलाफ बढ़ती नाराजगी के बीच उसे मान्यता देने की अपील की है. साथ ही तालिबान ने चीन को खुश करने की कोशिश में कहा कि चीन युद्ध से तबाह देश में उसके शासन के तहत एक ‘‘बड़ी भूमिका’’ निभा सकता है. तालिबान के तर्जुमान सुहैल शाहीन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ‘‘अफगान लोगों की इच्छा का सम्मान करना चाहिए’’ और आधिकारिक तौर पर उनके समूह को मान्यता देनी चाहिए जिसने काबुल में सत्ता संभाली है. शाहीन ने कहा कि पूरे देश में समूह की प्रगति की गति राष्ट्रीय सरकार के सत्ता में आने को वैध बनाती है. शरीया कानून लागू करने की योजना के तहत तालिबान के जरिए महिलाओं की आजादी पर अंकुश लगाने की बढ़ती चिंताओं को खारिज करते हुए शाहीन ने चीन के सरकारी ‘सीजीटीएन टीवी’ से कहा कि काबुल में नई तालिबान सरकार महिलाओं के शिक्षा और कामकाज के अधिकारों की रक्षा करेगी. 

अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठनों से धन जारी करने का आग्रह
सुहैल शाहीन ने अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठनों से नई सरकार को धन जारी करने का भी आग्रह किया है. शाहीन ने कहा कि चीन एक विशाल अर्थव्यवस्था और क्षमता वाला एक बड़ा देश है. वे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों के दौरान चीन और रूस के साथ हमारे संबंध रहे हैं. हमने उनसे कहा है कि उन्हें अफगानिस्तान को लेकर कोई चिंता नहीं होनी चाहिए. हम इसे अपने हित में देखते हैं कि हम किसी को भी हमारे पड़ोसी और क्षेत्रीय देशों के खिलाफ हमारी धरती का उपयोग करने की अनुमति न दें. यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है. शाहीन ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए भी हमें सभी देशों की मदद की जरूरत है.

तालिबान के सामने नकदी का संकट
तालिबान के सामने अफगानिस्तान पर अपने नियंत्रण को मजबूत बनाने में बहुत बड़ी चुनौती पेश आ रही है और वह है पैसा. पिछले सप्ताह की अपनी वर्चस्वशीलता के बावजूद तालिबान की सेंट्रल बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के अरबों डॉलर तक पहुंच नहीं है जो इस उथल-पुथल के दौर में देश को चलाता रहता. ये पैसे मुख्य रूप से अमेरिका या अंतराष्ट्रीय संस्थानों के नियंत्रण में हैं. पैसे की इस कमी से आर्थिक संकट पैदा हो सकता है जो उन 3.6 करोड़ अफगानों के लिए मानवीय संकट गहरा कर सकता है. अफगान रणनीति पर अमेरिका सरकार को सलाह देने वाले एंथनी कोर्ड्समैन ने कहा कि यदि उनके पास काम नहीं होगा तो वे लोगों का पेट नहीं भर पायेंगे. तालिबान को जवाब ढूंढना होगा. फंसी हुई रकम अमेरिका के लिए तालिबान पर दबाव बनाने का स्रोत हो सकती है. 

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