तालिबान ने की अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू करने की मांग; हो रहा है विरोध
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तालिबान ने की अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू करने की मांग; हो रहा है विरोध

Sharia law in Afghanistan: अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात के नेता मावलवी हिबतुल्ला अखुंदजादा ने प्रांतीय गवर्नरों की एक बैठक में कहा है कि देश सिर्फ शरिया कानून लागू होगा और इंसानों के बनाए गए सारे कानून निरस्त कर दिए जाएंगे. 

 

Zabiullah Mujahid

काबुलः अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात के तर्जुमान जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक बयान में कहा है कि अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात के नेता मावलवी हिबतुल्ला अखुंदजादा ने कंधार में प्रांतीय गवर्नरों के साथ बैठक में मुल्क में इस्लामिक मूल्यों के संरक्षण की जरूरत पर जोर दिया है. खामा प्रेस के मुताबिक, अखुंदजादा ने शरिया कानून को लागू करने की अपील करते हुए कहा है कि लोगों द्वारा बनाया गया कोई भी कानून मुल्क में कबूल नहीं किया जाएगा; हर समस्या का समाधान शरिया कानूनों के मुताबिक किया जाएगा. 

पिछले 20 सालों में बने सभी कानूना होंगे निरस्त 
बयान में उनके हवाले से कहा गया है कि पिछले 20 सालों में, बहुत सारे शरिया और इस्लाम विरोधी बयानबाजी हुई हैं और लोगों द्वारा बनाए गए कानून लागू किए गए हैं, जिसे अब स्वीकार नहीं किया जाएगा. इस बीच, विश्लेषकों और स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने शरिया कानून के कार्यान्वयन और उसे लागू करने के प्रस्ताव पर सवाल उठाया है. वहीं, इस्लामिक अमीरात नेतृत्व पूरे देश में शरिया कानून लागू करने की बात कर रहा है कि यह देश की तरक्की के लिए महत्वपूर्ण हैं.

देश की महिलाएं और बुद्धिजीवी कर रहे हैं विरोध 
टोलो न्यूज के मुताबिक, विश्वविद्यालय के प्रशिक्षक गुलाम सखी इहसानी ने कहा है कि ऐसे कानूनों को लागू किया जाना चाहिए जो शरिया के खिलाफ और इसके विपरीत न हो. अगर ऐसा कुछ है, तो वह भी एक इस्लामी कानून माना जाएगा. सखी के मुताबिक, देश में महिलाओं और अल्पसंख्यकों से संबंधित सभी अधिकार शरीयत के तहत होने चाहिए, जिसमें सर्वोच्च नेता द्वारा नवीनतम डिक्री को लागू करने पर जोर दिया गया है.
वहीं, एक महिला अधिकार कार्यकर्ता मरियम मरौफ अरवीन ने कहा है कि शरिया कानून कैसे लागू किया जाएगा, जबकि कक्षा छह से ऊपर की लड़कियों के लिए स्कूल 313 दिनों से ज्यादा वक्त से बंद हैं और महिलाओं को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, जो शिक्षा हासिल इस्लाम के मुताबिक भी लड़कियों का मूल अधिकार है? 

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