हम ज्यादातर जिंदगी में खुद ही हारते हैं. अपनी वजहों से. खुद से. बार-बार. हर बार. और तब तक हारते रहते हैं, जब तक यकीन न कर लें कि हम खुद ही हार रहे हैं
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इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि जीवन में एक बार करियर की शुरुआत हो जाने पर, करियर में कुछ हासिल कर लेने के बाद क्या हम ठहर जाते हैं. हम में से ज्यादातर ने ‘कछुए और खरगोश' की अमर कहानी तो सुनी ही है, जिसमें तेज रफ्तार का धनी खरगोश कुछ आराम करने के लिए ठहर गया था, जिसकी कीमत उसे हार के रूप में चुकानी पड़ी. यह मामूली दौड़ खरगोश की हार के कारण ही प्रतिष्ठित बनी. कछुए की जीत के कारण नहीं!
मैं कई बार सोचता हूं कि जब कभी खरगोश इस कहानी के दशकों बाद भी कछुए से मिलता होगा तो दोनों क्या बातें करते होंगे. कितना मुश्किल है, खरगोश को अब तक यह यकीन होना कि वह हार गया था. एक ऐसी दौड़ जो उसे ही जीतनी थी. अपनी वजहों से. हम भी ज्यादातर जिंदगी में खुद ही हारते हैं. अपनी वजहों से. खुद से. बार-बार. हर बार. और तब तक हारते रहते हैं, जब तक यकीन न कर लें कि हम खुद ही हार रहे हैं.
हम जिंदगी में एक बार गति हासिल करने के बाद अक्सर खरगोश हो जाते हैं. खुद पर निवेश बंद कर देते हैं. स्वंय को काबिल, योग्य बनाने की जगह सेल्फी ( खुद के गुणगान, यशगान ) में जुट जाते हैं. जैसे ही हम खुद में अध्ययन, नई योग्यता जोड़ने और समय की मांग के अनुसार बदलने का काम बंद करते हैं, हम खरगोश की तरह खुद अपने ही कारण से हार की ओर बढ़ जाते हैं.
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सबसे ज्यादा अगर हम किसी से डरते हैं, तो वह है, परिवर्तन. मैं ‘डियर जिंदगी’ के पाठकों से अनुरोध करना चाहता हूं कि वह अपनी बेहद व्यस्त जिंदगी (जिसका हर कोई दावा करता है) उससे बस थोड़ा-सा समय अपने लिए निकालें. वह चिंतन करें कि पिछले एक साल में उन्होंने खुद में क्या नया जोड़ा है. हम अपने बच्चों को रोज सिखाते हैं, सीखना बंद मत करो. उससे उस काम के लिए कह रहे हैं, जो हमने न जाने कब से बंद कर दिया है. ऐसे में हमारे कहे का क्या अर्थ रह जाएगा. हमारे कहे का असर तभी है, जब वह हम पर लागू होता हो.
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अगर आपने खुद में कुछ नहीं जोड़ा है, आप उसमें ही खुश हैं, जो आप बरसों से करते आ रहे हैं. जिसकी आपके दिमाग को आदत हो गई है, जो शुरू करते ही अपने आप होने लगता है, बिना किसी विशेष प्रयास के. तो इसका अर्थ है कि आप ऑटोमेशन में चले गए हैं. उस काम में अब आपका कोई रचनात्मक योगदान नहीं है. जिस काम में आपके न रहने से कोई अंतर न पड़े, अगर उससे आपका करियर जुड़ा है, तो यकीन मानिए कि आप सुरक्षित नहीं है. आप पर किसी भी दिन संकट आ सकता है. इसलिए अपने लिए, अपने परिवार के लिए खुद में परिवर्तन करते रहिए. खुद को जांचते रहिए कि आपमें परिवर्तन हो रहा है, या नहीं. परिवर्तन दुनिया की सबसे खूबसूरत आदत है, जो हर किसी की जिंदगी को रोशनी बख्शती है.
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(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)
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