Guru: कुंडली में ऐसी स्थिति में हो 'गुरु' तो जीवनभर पैसों में खेलता है व्यक्ति, बनता हैं धनवान और लकी
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Guru: कुंडली में ऐसी स्थिति में हो 'गुरु' तो जीवनभर पैसों में खेलता है व्यक्ति, बनता हैं धनवान और लकी

Jupiter Horoscope: ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अलग महत्व और अपना अलग प्रभाव है. बता दें कि देवगुरु बृहस्पति को सभी ग्रहों का गुरु माना गया है. अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु शुभ स्थिति में होते हैं, तो उन्हें जीवन में खूब सफलता और धन की प्राप्ति होती है. 

 

guru in kundali

Guru In Kundali: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अपना विशेष महत्व बताया गया है. सभी नौ ग्रहों में गुरु यानी बृहस्पति ग्रह को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. बृहस्पति को सभी देवी-देवताओं का गुरु माना गया है. कुंडली में हर ग्रह की अपनी स्थिति होती है और वे उसी के मुताबिक फल प्रदान करता है. अगर किसी जातक की  कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति में हैं, तो व्यक्ति को जीवन में सुख-दुख और उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है. 

इसके अलावा, कुंडली में गुरु की मजबूत स्थिति व्यक्ति को जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्रदान करती है. इस दौरान उनके जीवन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रही. वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. और व्यक्ति जिंदगीभर खूब पैसों में खेलता है. 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं. इन भावों के आधार पर ही व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जाना जा सकता है. ऐसी ही कुंडली में गुरु भी 12 भाव में अलग-अलग प्रभाव देते हैं. ऐसे में जानते हैं कि कुंडली में गुरु किस भाव में भाग्यशाली और धनवान बनाते हैं. 

कुंडली के इस भाव में गुरु होते हैं शुभ

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के पहले भाव में गुरु के होने पर व्यक्ति विद्धान और धार्मिक बनता है. इससे व्यक्ति की प्रतिष्ठा बढ़ती है और वे धनवान बनता है. व्यक्ति को उच्च पदों की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, गुरु के पहले भाव में होने पर व्यक्ति काफी गुणवान होता है. वहीं कुंडली के दूसरे भाव में गुरु हो तो व्यक्ति में बुद्धि का विकास होता है. ज्योतिष शास्त्र का कहना है कि ऐसे में व्यक्ति की रुचि काव्य और साहित्य में बढ़ने लगती है. 

गुरु के दूसरे भाव में होने पर प्रभाव

वहीं, अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु दूसरे भाव में है, तो व्यक्ति को वाणी और धन की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, मित्रों की संख्या में बढ़ोतरी होती है. व्यक्ति में अहम की भावना बढ़ने लगती है. इसके अलावा, कुंडली के तीसरे भाव में गुरु ग्रह के विराजमान होने पर व्यक्ति के अंदर समझदारी बढ़ती है.  व्यक्ति अच्छे-बुरे कार्य को सोच समझ कर करता है. इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है. धर्म-कर्म के कार्यों में व्यक्ति का खूब मन लगता है. 

चौथे भाव में गुरु का प्रभाव 

बता दें कि कुंडली के चौथे भाव में गुरु के होने पर व्यक्ति राजाओं जैसा जीवन जीता है. हर तरह का सुख प्राप्त होता है. दूसरों की मदद के लिए हमेशा आगे रहता है. ऐसा व्यक्ति धनवान, यशस्वी, बली, सुखी और वाहन आदि चीजों की प्राप्ति होती है. पिता का नाम रोशन करता है. खूब धन-संपत्ति कमाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)   

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