Videsh yatra ke yog: बहुत से लोगों का मन होता है विदेश घूमने का, कई बार लाखों रुपये पास और छुट्टियां साथ होने के बावजूद वो एब्रॉड नहीं जा पाते. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक बाहर जाने का संयोग किन स्थितियों में बनता है आइए बताते हैं.
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Kundali me videsh yatra ke yog: ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में ऐसा माना गया है कि कुछ ग्रह, विदेश यात्राओं (Videsh Yatra) के कारक ग्रह होते हैं. इसके अलावा भी कई अन्य कुण्डली की गणनाए हैं, जिनके हिसाब से आप विदेश यात्राओं पर जा सकते हैं. ज्योतिषियों के मुताबिक कुंडली में सूर्य लग्न की स्थिति में हो तो विदेश यात्रा करने के योग बनते हैं. बहुत से लोग विदेश में घूमने, या सात समंदर पार बसने का सपना देखते हैं, लेकिन सपने तो सपने होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में सपनों के कई मायने होते हैं उसपर चर्चा कभी और करेंगे. यहां बात विदेश यात्रा की तो किसी के भाग्य में विदेश यात्रा करने का मौका है या नहीं आइए बताते हैं.
कुंडली का बारहवां भाव
जन्मकुंडली का बारहवां भाव विदेश यात्रा से संबंधित होता है और इस वजह से दुख का भाव होने के बावजूद भी इस घर को सुअवसर के रूप में देखा जाता है. विदेश यात्रा के लिए चंद्रमा को नैसर्गिक कारक माना गया है. वहीं दशम भाव से आपकी आजीविका के बारे में पता चलता है. शनि ग्रह आजीविका के नैसर्गिक कारक होते हैं. विदेश गमन के लिए कुंडली में बारहवें भाव, चंद्रमा, दशम भाव और शनि की स्थिति का आंकलन किया जाता है. भाग्य स्थान में बैठकर राहू भी विदेश यात्रा के योग का निर्माण करता है.
विदेश यात्रा का किस्मत कनेक्शन
आपने बहुत से लोगों को कहते सुना होगा कि अगर मेरी किस्मत में होगा तो विदेश जाने का मौका एक न एक दिन जरूर मिलेगा. वहीं कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो रईस और पूरी तरह से स्वस्थ्य यानी फिजिकली फिट होने के बावजूद एक बार भी भारत की धरती या समुद्री सीमा के बाहर नहीं जा पाते हैं. ऐसे लोगों की जिंदगी बीत जाती है लेकिन उसके पासपोर्ट पर किसी भी देश का वीजा और स्टैंप नहीं लग पाती है. दूसरी ओर सैकड़ों लोग ऐसे भी होते हैं जो कई-कई बार विदेश यात्रा कर लेते हैं.
इन वजहों से होती है विदेश यात्राएं
ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना गया है कि शनि और राहु ग्रह विदेश यात्राओं के कारक ग्रह हैं. कुंडली में विदेश यात्रा के योग कैसे बनते हैं आइए जानते हैं. दरअसल ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य लग्न की स्थिति में हो तो विदेश यात्रा करने के योग बनते हैं. वहीं अगर किसी महिला या पुरुष की कुंडली में बुध आठवें भाव में हो या शनि बारहवें भाव में बैठा हो, तब भी उस जातक के विदेश यात्रा करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. वहीं किसी जातक की जन्म कुंडली में दशमेश और नवमांश दोनों ही चर राशियों में स्थित हो तो भी वह कई बार विदेश यात्राओं पर जा सकता है. इसी तरह से अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्नेश बारहवें भाव में स्थित है, तब भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं.
ये योग होना भी जरूरी
वहीं कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु पहले, सातवें या आठवें भाव में हो तो भी उस व्यक्ति का विदेश यात्रा करने का योग बनता है. अगर शुक्र ग्रह जन्म कुंडली के छठे, सातवें या आठवें भाव में स्थित हो तो भी विदेश यात्रा कर सकते हैं. इसी तरह से किसी की कुंडली में चंद्रमा 11वें या बारहवें भाव में हो तो भी जातक के विदेश यात्रा करने के योग बनते हैं. कुंडली के छठे भाव का स्वामी कुंडली के बारहवें भाव में स्थित हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं. ऐसे में कुण्डली में ये आठ विशेष तरह की गणनाओं का संयोग होने पर आप विदेश यात्राओं पर जा सकते हैं. अगर आप के साथ भी ऐसा है तो किसी योग्य ज्योतिषी को कुंडली दिखाकर आप अपनी विदेश यात्रा के संयोग होने या न होने का पता लगा सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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