Rahu Ketu: ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है. कुंडली में इनकी स्थिति जीवन पर बड़ा असर डालती हैं. वहीं राहु और केतु ग्रह को इतना ताकतवर माना गया है कि वे सूर्य-चंद्रमा को डस लेते हैं, जिससे ग्रहण लगते हैं.
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Rahu Ketu Connection with Surya Grahan: ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु का छाया ग्रह कहा गया है. इन ग्रहों को किसी भी राशि का स्वामित्व नहीं मिला है, बल्कि जिस राशि पर छाया पड़े, उसी पर असर डालते हैं. हिंदू धर्म-शास्त्रों के अनुसार राहु केतु सर्प हैं, जिनका जन्म महाकाल की नगरी उज्जैन में हुआ था. माना जाता है कि जब राहु केतु सूर्य और चंद्रमा को डस लेते हैं तो ग्रहण लगता है. इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा बेहद मशहूर है.
स्वरभानु राक्षस के सिर और धड़ हैं राहु-केतु
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय स्वरभानु नाम का दैत्य अमृत पीने के लिए देवताओं के बीच रूप बदलकर बैठ गया था. उस समय सूर्य और चंद्र देवताओं को अमृत पिला रहे थे. तभी भगवान विष्णु ने स्वरभानु राक्षस को पहचान लिया और उसकी पोल खोल दी. इसके बाद नाराज होकर श्रीहरि ने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया. इसके बाद राक्षस के सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ केतु कहलाया. ये राहु और केतु ही जब सूर्य और चंद्र को डस लेते हैं या अपना ग्रास बना लेते हैं, तब सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण लगता है. वहीं राहु केतु को सर्प कहा गया है. इसमें राहु सर्प का सिर और धड़ केतु है.
मृत्यु की तरह कष्ट देते हैं राहु-केतु
ज्योतिष में राहु-केतु को रहस्यमयी ग्रह बताया गया है. यदि ये कुंडली में अशुभ स्थान पर हों तो मृत्यु की तरह कष्ट देते हैं. वहीं राहु केतु प्रसन्न हो जाएं या शुभ स्थिति में हों तो बहुत लाभ देते हैं. ऐसी स्थिति में जातक राजा की तरह जीवन पाता है. उसे अपार धन-वैभव, ऊंचा पद, मान-सम्मान सब कुछ मिलता है. राहु-केतु का कुंडली में शुभ स्थान पर होना राजयोग बनाता है. वहीं राहु-केतु अशुभ स्थिति में हों तो वे खतरनाक योग बनाते हैं. जैसे कालसर्प दोष, पितृ दोष, गुरु चंडाल योग, अंगारक योग, ग्रहण योग और कपट योग आदि.
कालसर्प दोष तबाह कर देता है जीवन
ज्योतिष में कालसर्प दोष को बहुत अशुभ योग माना गया है. राहु-केतु के कारण ही कुंडली में कालसर्प योग बनता है. यदि यह अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति का जीवन तबाह हो जाता है. इसलिए कालसर्प दोष की जल्द से जल्द शांति करवाने की सलाह दी जाती है. इसके लिए सोमवार, नागपंचमी और महाशिवरात्रि का दिन बहुत शुभ माना गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)