कितने CC का होता है जेट प्लेन का इंजन, माइलेज सुनकर तो छूट जाएंगे पसीने!
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कितने CC का होता है जेट प्लेन का इंजन, माइलेज सुनकर तो छूट जाएंगे पसीने!

Jet Plane Mileage: जेट प्लेन के इंजन को चलाने के लिए कितना फ्यूल इस्तेमाल होता है, अगर ये बात आपको पता चल जाए तो यकीन मानिए आप दंग रह जाएंगे. 

कितने CC का होता है जेट प्लेन का इंजन, माइलेज सुनकर तो छूट जाएंगे पसीने!

Jet Plane Fuel Consumption: जेट इंजन की क्षमता को कार इंजन की तरह CC (क्यूबिक सेंटीमीटर) में नहीं मापा जाता, क्योंकि यह इंटरनल कंबशन इंजनों से अलग काम करता है. जेट इंजन में थ्रस्ट (पुश देने की ताकत) मुख्य रूप से मापी जाती है. उदाहरण के लिए, एक बड़े कमर्शियल जेट इंजन (जैसे Boeing 777 के GE90 इंजन) 110,000 पाउंड-फोर्स का थ्रस्ट उत्पन्न कर सकते हैं. इसके बजाय कार इंजन की CC माप उसकी साइज और क्षमता बताती है, जबकि जेट इंजन की क्षमता उसकी थ्रस्ट और पावर से आंकी जाती है.

जहां तक माइलेज की बात है, जेट विमान बहुत कम माइलेज देते हैं. उदाहरण के लिए, एक बड़े विमान (जैसे Boeing 747) का औसत माइलेज 0.2-0.3 किलोमीटर प्रति लीटर होता है. एक Boeing 747 हर सेकंड में 10-12 लीटर ईंधन जला सकता है, यानी लंबी उड़ानों में हजारों लीटर ईंधन की खपत हो सकती है.

कितना फ्यूल पी जाता है जेट प्लेन 

जहां तक माइलेज की बात है, जेट विमान आमतौर पर 0.2 से 0.3 किलोमीटर प्रति लीटर (2-3 लीटर प्रति किलोमीटर) का माइलेज देते हैं, जो सुनने में काफी कम लगता है, लेकिन विमान कई लोगों को लंबी दूरी तक ले जाता है, इसलिए प्रति व्यक्ति खपत ज्यादा नहीं होती. एक बड़े विमान में ईंधन की खपत भारी होती है, उदाहरण के लिए एक Boeing 747 लगभग 12 लीटर प्रति सेकंड तक ईंधन जला सकता है, जिसका मतलब है कि एक लंबी उड़ान में हजारों लीटर ईंधन की खपत हो सकती है.

कैसे काम करता है जेट प्लेन का इंजन 

जेट प्लेन का इंजन एक जेट इंजन कहलाता है, और इसका काम करने का तरीका काफी जटिल और शक्तिशाली होता है. इसे सरल शब्दों में समझाया जाए तो, जेट इंजन मुख्य रूप से न्यूटन के तीसरे नियम पर काम करता है: "हर क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है." इसका मतलब है कि जब इंजन से हवा और ईंधन का मिश्रण पीछे की ओर तेजी से निकलता है, तो विमान आगे की ओर बढ़ता है. चलिए स्टेप बाय स्टेप समझते हैं:

1. हवा का अंदर खींचना (Intake)

जब जेट इंजन काम करता है, तो इसके आगे लगे बड़े फैन हवा को खींचते हैं. यह हवा इंजन के अंदर प्रवेश करती है. हवा की यह मात्रा जितनी ज्यादा होती है, उतनी ही ज्यादा ताकत इंजन से पैदा हो सकती है.

2. कंप्रेसर (Compressor)

हवा को खींचने के बाद, यह इंजन के अगले हिस्से में स्थित कंप्रेसर के पास पहुंचती है. कंप्रेसर हवा को छोटे और संकरे रास्तों से गुजारकर उसे संपीड़ित (compress) करता है, जिससे हवा का प्रेशर और तापमान दोनों बढ़ जाते हैं. संपीड़ित हवा अब दहन के लिए तैयार हो जाती है.

3. दहन (Combustion)

संपीड़ित हवा अब दहन कक्ष (combustion chamber) में प्रवेश करती है, जहां इसे ईंधन (अक्सर केरोसिन या जेट फ्यूल) के साथ मिलाया जाता है. इस मिश्रण को जलाया जाता है, और जलने की प्रक्रिया से अत्यधिक गर्मी और ऊर्जा उत्पन्न होती है. यह गर्मी हवा को तेजी से फैलाती है और उसे पीछे की ओर धकेलती है.

4. टर्बाइन (Turbine)

जब गर्म और तेजी से फैलती हुई हवा इंजन के पिछले हिस्से से होकर गुजरती है, तो यह टर्बाइन ब्लेड्स को घुमाती है. टर्बाइन का काम यह होता है कि वह इस ऊर्जा का एक हिस्सा इंजन के फैन और कंप्रेसर को चलाने में प्रयोग करती है, ताकि यह प्रक्रिया लगातार चलती रहे.

5. एग्जॉस्ट (Exhaust)

अंत में, गर्म हवा बहुत तेज गति से इंजन के पीछे से बाहर निकलती है. यह तेज गति से निकलती हुई हवा ही विमान को आगे की ओर धकेलने का काम करती है.

जेट इंजन में हवा को खींचा जाता है, संपीड़ित किया जाता है, उसे ईंधन के साथ जलाया जाता है, और फिर टर्बाइन को घुमाया जाता है ताकि वह विमान को आगे की दिशा में धकेल सके। यह प्रक्रिया एक चक्र की तरह लगातार चलती रहती है, जिससे विमान उड़ता रहता है.

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