Tyre Burst Case: साल 2010 में टायर फटने से हुई एक मौत के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि 'टायर फटना दैवीय घटना नहीं, बल्कि मानवीय लापरवाही है.'
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Bombay High Court: वाहन चलाते समय कार में खराबी आना तो एक आम घटना है, लेकिन कई बार इसके चलते लोगों की जान चली जाती है. साल 2010 में टायर फटने से हुई एक मौत के मामले में बंबई हाई कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मुआवजे के खिलाफ बीमा कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि 'टायर फटना दैवीय घटना नहीं, बल्कि मानवीय लापरवाही है.' इसके साथ ही इंश्योरेंस कंपनी को 1.25 करोड़ रुपये मुआवजा देने के लिए कहा गया है. इंश्योरेंस कंपनी का दावा था कि यह दैवीय घटना (Act of God) के दायरे में आता है.
न्यायमूर्ति एस जी डिगे की पीठ ने 17 फरवरी के अपने आदेश में मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्राइब्यूनल के 2016 के फैसले के खिलाफ 'न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड' की अपील खारिज कर दी. न्यायाधिकरण ने इस बीमा कंपनी को मकरंद पटवर्धन के परिवार को 1.25 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था. मकरंद पटवर्धन 25 अक्टूबर 2010 को अपने दो सहयोगियों के साथ पुणे से मुंबई जा रहे थे और चालक की लापरवाही के कारण कार का पिछला पहिया फट गया और कार गहरी खाई में जा गिरी. इस हादसे में मकरंद पटवर्धन (38) की मौके पर ही मौत हो गई थी.
न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा था कि मकरंद पटवर्धन परिवार में इकलौता कमाने वाला था. बीमा कंपनी ने अपील में मुआवजे की राशि को अत्यधिक बताया था और कहा था कि टायर फटने की घटना दैवीय थी, न कि चालक की लापरवाही थी. उच्च न्यायालय को बीमा कंपनी की दलील पसंद नहीं आयी और कहा, दैवीय घटना का तात्पर्य एक ऐसी अप्रत्याशित प्राकृतिक घटना होती है, जिसके लिए इंसान जिम्मेदार नहीं होता है. लेकिन, टायर के फटने को दैवीय घटना नहीं कहा जा सकता है. यह मानवीय लापरवाही है."
कैसे करें टायर की देखभाल
- टायर प्रेशर को समय-समय पर चेक करवाते रहना चाहिए
- टायरों में हवा कम होने का सीधा असर इंजन और माइलेज पर पड़ता है.
- टायर प्रेशर ज्यादा होने भी समस्या की बात है. अक्सर टायर फट जाते हैं.
- गर्मियों के मौसम में टायर की हवा थोड़ी सी कम रखने की सलाह दी जाती है.
- जब भी अपनी कार से किसी सफर पर निकलें, तो एक नजर चारो पहिए पर जरूर घुमाएं.
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