MahaKaleswar Jyotirlinga : फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी 10 फरवरी से शिव नवरात्रि का आरंभ हो जाएगा. जहां ज्योतिर्लिंग में विशेष पूजा- अर्चना की जाती है. जिसमें महाकालेश्वर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. यहां सबसे पहले कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित श्री कोटेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करके उन्हें हल्दी अर्पित की जाएगी. जिसके बाद गर्भगृह में महाकाल का पूजन किया जाएगा.
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Mahakal Temple, Ujjain: महाशिव का पर्व पूरे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन शिवरात्रि की धूम 12 ज्योतिर्लिंग में अलग ही देखने को मिलती है. जिसमें महाकाल ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा है जिसके अनुसार फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी 10 फरवरी से शिव नवरात्रि का आरंभ हो जाएगा. जिसमें सबसे पहले कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित श्री कोटेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करके उन्हें हल्दी अर्पित की जाएगी. जिसके बाद गर्भगृह में महाकाल का पूजन किया जाएगा. 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन महाकाल का जलाभिषेक किया जाएगा. वहीं 19 फरवरी के दिन प्रातः काल ही भगवान शिव का सेहरा सजाया जाएगा.
ज्योतिर्लिंग का किया जाएगा विशेष शृंगार:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर साल की तरह ज्योतिर्लिंग की विशेष पूजा की जाएगी, रूद्राभिषेक के बाद दोपहर एक बजे भोग आरती होगी. करीब दोपहर तीन बजे शाम को पूजन के बाद भोलेनाथ का विशेष शृंगार किया जाएगा. नौ दिन तक पूजन का यही क्रम चलेगा और नौ दिनों तक महाकाल अलग-अलग रूपों में शृंगार किया जाएगा और महाकाल हर दिन अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देंगे.
नौ दिन शृंगार के अलग रूप:
- पहले दिन भगवान महाकाल का चंदन से शृंगार होगा. जिसमें महाकाल को दुपट्टा के साथ मुकुट, मुंडमाला, छत्र आदि आभूषण पहनाए जाएंगे.
- दूसरे दिन शेषनाग शृंगार किया जाएगा, जिसमें महाकाल को दुपट्टा के साथ मुकुट, मुंडमाला, छत्र आदि आभूषण पहनाए जाएंगे.
- तीसरे दिन घटाटोप शृंगार.
- चौथे दिन छबीना शृंगार.
- पांचवे दिन होलकर रूप का शृंगार.
- छठे दिन मन महेश के रूप में महादेव का शृंगार किया जाएगा.
- वहीं सातवें दिन उमा-महेश रूप में शृंगार होगा.
- आठवें दिन शिव तांडव रूप में महाकाल का शृंगार किया जाएगा.
- शिवरात्रि पर सप्तधान के रूप में महादेव का शृंगार किया जाएगा.
बदलेगा पूजन और आरती का समय :
महाकाल मंदिर में प्रतिदिन सुबह 10 बजे भोग आरती और शाम को पांच बजे संध्या पूजन होता है. लेकिन, शिव नवरात्रि के नौ दिन पहले से ही पूजन का विशेष क्रम होने से भोग आरती दोपहर एक बजे तथा संध्या पूजन दोपहर तीन बजे होगी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)