Ram shrap kahani: बाली सुग्रीव के युद्ध में भगवान श्रीराम को क्‍यों मिला था श्राप? पढ़ें ये कहानी
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Ram shrap kahani: बाली सुग्रीव के युद्ध में भगवान श्रीराम को क्‍यों मिला था श्राप? पढ़ें ये कहानी

Bali sugriv war: आपने रामायण के कई किस्‍से और कहानी सुनी होंगी. वनवास के दौरान ऐसी कई घटनाएं घटी, जिसके बारे में आप शायद नहीं जानते होंगे, तो चलिए जानते हैं भगवान राम को ये श्राप क्‍यों मिला था?   

 Ram shrap kahani: बाली सुग्रीव के युद्ध में भगवान श्रीराम को क्‍यों मिला था श्राप? पढ़ें ये कहानी

Ramayan kahani: रामायण के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से जुड़े आपने कई किस्से कहानियां सुने होंगे, उन्‍होंने सीता माता और लक्ष्मण के साथ 14 सालों तक वनवास काटा था. उसी दौरान रावण ने सीता का अपहरण भी किया था. उन्‍हें खोजते खोजते श्रीराम की भेंट हनुमान जी से हुई थी. इसके अलावा बाली और सुग्रीव भी उन्‍हें वहीं मिले. श्रीराम और सुग्रीव दोनों अच्‍छे मित्र बन चुके थे और एक समय ऐसा आया, तब बाली और सुग्रीव दोनों के बीच घमासान हुआ. इस युद्ध के बाद तारा ने बाली को मरा हुआ देख, श्रीराम को दे दिया था ऐसा श्राप.        

श्रीराम और सुग्रीव थे मित्र

ऐसी मान्‍यता है कि वनवास के दौरान राम जी का परिचय सुग्रीव के साथ हुआ था. हनुमान जी ने ही सुग्रीव को राम भगवान से मिलवाया था. ये परिचय कुछ दिनों में ही मित्रता में बदल गया. सुग्रीव के बड़े भाई बाली थे. जिन्‍हें वरदान था कि उससे जो भी लड़ाई करेगा, उसका आधा बल उसमें समाहित हो जाएगा. इस वजह से उसने सुग्रीव को राज्य से भगा दिया था. उसके बाद सुग्रीव और बाली में घमासान हुआ. जानिए आगे की कहानी.  

बाली और सुग्रीव में हुआ घमासान 

सुग्रीव ने इस घटना के बारे में श्रीराम को बताया, उसके बाद राम जी बाली को युद्ध के लिए ललकारा. श्रीराम के वचन पर सुग्रीव बाली से लड़ने के लिए पहुंच गए. उधर से बाली भी युद्ध के लिए आ गया. दोनों भाइयों के बीच गदा युद्ध शुरू हो चुका था. इसके बाद श्रीराम ने बाली पर बाण छोड़ दिया, जिस वजह से बाली की मृत्यु हो गई. बाली की मृत्यु की सूचना जैसे ही उसकी पत्नी तारा को मिली. वो वहां पहुंच गई. 

तारा ने दिया था श्राप

जब तारा ने बाली को मरा हुआ देखा तो विलाप और क्रोध में उसने श्रीराम को श्राप दिया था. उन्‍होंने श्राप में कहा था कि आप सीता को ढूंढने के बाद भी पा नहीं सकेंगे. आप सीता को फिर से खो देंगे. ऐसी मान्‍यता है कि तारा के इस श्राप की वजह से ही श्रीराम लंका पर विजय पाने के बावजूद सीता माता के साथ अयोध्या नहीं पहुंच पाए, उस समय कुछ टाइम बाद ही सीता माता को वापस वन जाना पड़ा. उन्‍होंने वहां महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में अपना जीवन व्यतीत किया.

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