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Maa Lakshmi Upay: शुक्रवार के दिन विधिपूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा करने और व्रत आदि रखने से धन की देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहते हैं कि इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. वहीं, वैभव लक्ष्मी के व्रत आदि रखने से व्यक्ति को बहुत जल्द कर्ज आदि की समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
ऐसा माना जाता है कि वैभव लक्ष्मी के व्रत आदि रखने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं. वहीं, मां लक्ष्मी अपने साधकों पर कृपा बरसात हैं. उनकी कृपा से आय, सौभाग्य और धन में वृद्धि होती है. अगर आप भी मां लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न करना चाहते हैं, तो रोजाना प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद महालक्ष्मी अष्टक का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. साथ ही,धन की प्राप्ति के लिए रोजाना मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप अवश्य करें. आइए जानते हैं महालक्ष्मी अष्टक के पाठ करें.
लक्ष्मी जी के मंत्र
1.
या देवी सर्वभूतेषु पुष्टिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
2.
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
3.
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
4.
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
5.
या देवी सर्वभूतेषु पुष्टिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
6.
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
7.
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
8.
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
महालक्ष्मी अष्टक
नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्षि्म नमोस्तु ते॥
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि ।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि ।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।
मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे ।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि ।
परमेशि जगन्माता महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥
फलश्रुति
महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः ।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् ।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्न वरदा शुभा ॥
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)