नेट की दुनिया का काला धब्बा है साइबर अपराध
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नेट की दुनिया का काला धब्बा है साइबर अपराध

इंटरनेट ने अगर हमारी जिंदगी आसान की है तो दूसरी तरफ कई मुश्किलें भी पैदा की है। चंद सेकेंडों का क्लिक हमें हजार सूचनाएं को आसानी से मुहैया कराता है। लेकिन साइबर अपराध इंटरनेट की दुनिया पर काला धब्बा बनकर मंडरा रहे है। जबसे इंटरनेट का जन्म हुआ तब से यह मुश्किल नासूर का शक्ल अख्तियार कर चुका है। साइबर अपराधों से लगभग पूरी दुनिया परेशान है और इसके बचाव के तरीके भी खोजे जा रहे हैं । लेकिन इन अपराधों पर अंकुश लगने की बजाए यह तेजी से बढ़ते चले जा रहे है।

देश में वर्ष 2011 में कुल 13,301, वर्ष 2012 में 22,060, वर्ष 2013 में 71,780 साइबर अपराध दर्ज किए गए।  साल 2014 में साइबर क्राइम की करीब डेढ़ लाख वारदातें होने की बात अध्ययन में सामने आई है । जिसके 2015 में बढक़र लगभग दोगुना हो जाने का अनुमान जताया गया है। यह बात भी सामने आई कि इन्हें अंजाम देने वाले अधिकतर अभियुक्त युवा हैं। जिनकी आयु 18 से 30 साल के बीच है। साइबर क्राइम ब्रांच के मुताबिक पिछले कुछ वर्षो मे इन अपराधों में जमकर बढ़ोतरी हुई है और निशाने पर अक्सर टीन एजर्स रहते हैं।

वर्तमान में ऑनलाइन वित्तीय लेन-देन का 48 से 60 प्रतिशत हिस्सा मोबाइल के माध्यम से किया जा रहा है। बढ़ती ऑनलाइन बैंकिंग सेवाओं के मद्देनजर 2015 के अंत तक 55 से 60 प्रतिशत होने का अनुमान है। साइबर अपराधों के मामले में दुनिया भर के देशों में अमेरिका और जापान के बाद भारत तीसरे स्थान पर हैं। हालांकि दुनिया में दूसरे देशों के मुकाबले भारत में साइबर अपराध भले ही कम हैं पर इनके बढ़ते आंकड़े नए सिरे से सोचने और ठोस पहल करने को विवश करते हैं।
 
साइबर अपराधों से अब महिलाएं भी अछूती नहीं है। एक हालिया सर्वे के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र संघ की एक नई रिपोर्ट की मानें तो भारत में केवल 35 फीसदी महिलाओं ने ही अपने खिलाफ हुए साइबर अपराध की शिकायत की, जबकि साइबर अपराध से पीडित लगभग 46.7 प्रतिशत महिलाओं ने किसी तरह की कोई शिकायत नहीं की। इस सर्वे में जिन अन्य देशों को शामिल किया गया है उनमें से भारत के साथ कुछ नाम हैं- पाकिस्तान, पेरू, नाइजीरिया, इंडोनेशिया और केन्या।  

इस रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 18 से 24 साल की महिलाएं और लड़कियां खासतौर पर अपराध का निशाना बनती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले देशों की 5 में 1 महिला औसतन ऐसी है, जिसके खिलाफ अगर साइबर अपराध होता है तो दोषी को सजा मिलने की संभावना बेहद क्षीण होती है। रिपोर्ट में साइबर अपराध रोकने के लिए कई तरह के सुझाव भी दिए गए हैं।

86 देशों में किए गए अध्ययन में यह भी खुलासा हुआ कि साइबर अपराध कानून लागू करने की जिम्मेदार संस्थाएं ऎसे मामलों में से केवल 26 फीसद मामलों में ही पर्याप्त कदम उठाती हैं। सर्वे के अनुसार यही वजह है कि भारत में महिलाओं द्वारा उन्हें ऑनलाइन परेशान किए जाने सम्बंधी मामलों की बहुत कम ही शिकायत की जाती है।

अब यह जरूरी है कि साइबर अपराधों को रोकने के लिए वर्तमान कानून को कठोर किए जाने की जरूरत है। विदेशों में भी साइबर अपराध होते है लेकिन वहां के कानून अपने देश के मुकाबले सख्त होते है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अब बैंक से लेकर तमाम चीजें ऑनलाइन होती चली जा रही है। ऐसे में संभावित खतरों को भांपकर कठोर पहल किए जाने की जरूरत है क्योंकि ऑनलाइन का दायरा जिस कदर बढ़ा है उसी तरीके से धोखाधड़ी और साइबर अपराधों में भी बेतहाशा इजाफा हुआ है। इसलिए यह जरूरी है कि समय रहते इन अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए नए सिरे से ठोस पहल की जाए।

 

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