कोविड-19 के चलते ब्रिटेन में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा देने वाली संस्था नेशनल हेल्थ सर्विस के पास अब ज्यादा फंड नहीं बचा है. कंजर्वेटिव पार्टी के घोषणापत्र को लागू करने की देरी भी हो गई है.
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लंदन: ब्रिटेन इस वक्त लॉकडाउन के दौर से गुजर रहा है. कोरोना वायरस के नए भयानक स्ट्रेन के मिलने से इस देश में फिलहाल लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के खातिर एक बार फिर से ये फैसला लिया है. दुनिया के अन्य देशों ने भी ब्रिटेन में अपनी उड़ानें और आवाजाही पूरी तरह से सील कर दी है. हालांकि इस महामारी के चलते देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी असर पड़ा है. ऐसे में सरकार के पास फंड की भी समस्या हो गई है. अब बोरिस जॉनसन की सरकार ने अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव पर गौर कर रही है.
लग सकता है इन पर टैक्स
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के पास जो प्रस्ताव आया है, उसके अनुसार जॉनसन सरकार 40 वर्ष से ज्यादा वालों पर टैक्स लगा सकती है. टोरी पार्टी के स्वास्थ्य सचिव जेरेमी हंट ने कहा है कि बोरिस जॉनसन के पास केवल करो या फिर मरो वाली नीति बची है. इसमें वो लोगों के सपोर्ट से एक नया टैक्स लगा सकते है और ये फिलहाल देश के लिए काफी जरूरी विकल्प बचा है. जेरेमी ने ही ये प्रस्ताव दिया है कि जैसा जापान और जर्मनी जैसे देशों में होता है वैसा ही छोटा सा सरचार्ज वो 40 साल से ऊपर वालों पर लगा दें. यह सरचार्ज उम्र के साथ बढ़ता जाएगा.
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नेशनल हेल्थ सर्विस के पास नहीं बचा है ज्यादा फंड
कोविड-19 के चलते ब्रिटेन में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा देने वाली संस्था नेशनल हेल्थ सर्विस के पास अब ज्यादा फंड नहीं बचा है. ऐसे में सरकार के पास इसके अलावा विकल्प नहीं बचा है. हालांकि विपक्षी दल इस तरह के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं. विपक्षी दल का कहना है कि किसी भी तरह का नया टैक्स लगाना या फिर फंडिंग करना पैसे की बर्बादी होगी. इस सेवा में बहुत सारे परिवर्तन करने होंगे.
सरकार ने की देरी
कंजर्वेटिव पार्टी के घोषणापत्र को लागू करने की देरी भी हो गई है. 2019 में लाए गए इस घोषणापत्र में कहा गया था कि सरकार एक ऐसा रिफॉर्म लेकर के आएगी, जिसके जरिए स्वास्थ्य सेवा का इस्तेमाल करने वाले लोगों को इसका भुगतान करने के लिए अपना घर नहीं बेचना पड़ेगा. हालांकि ये प्रस्ताव 2017 से विचाराधीन अवस्था में पड़ा हुआ है. इस प्रस्ताव में सरकार ने कहा था कि वो एक लाख पाउंड तक की मदद करेगी. हालांकि वोटर्स को उस वक्त भी ये सही नहीं लगा था.
अब देखना यह है कि सरकार देश के नागरिकों को सही में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए इस तरह का टैक्स लगाने की घोषणा कब तक करती है.
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