ब्रॉडबैंड (Broadband) के नाम पर टेलीकॉम कंपनियां जो इंटरनेट की स्पीड (Internet Speed) हमें दे रही हैं वो ब्रॉडबैंड कहलाने के लायक भी हैं. इंडस्ट्री थिंक टैक्स Broadband India Forum (BIF) ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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नई दिल्ली: ब्रॉडबैंड (Broadband) के नाम पर टेलीकॉम कंपनियां जो इंटरनेट की स्पीड (Internet Speed) हमें दे रही हैं वो ब्रॉडबैंड कहलाने के लायक भी हैं. इंडस्ट्री थिंक टैक्स Broadband India Forum (BIF) ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं. BIF ने कहा है कि ब्रॉडबैंड स्पीड को लेकर परिभाषा (Definition) बदलने की जरूरत है.
ब्रॉडबैंड की स्पीड को 512 kbps से बढ़ाकर 2 Mbps करना होगा, क्योंकि ब्रॉडबैंड के लिहाज से 512 kbps की स्पीड काफी धीमी है. Broadband India Forum का कहना है कि बीते सालों में कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी में बड़ी तेज से बदलाव आया है और पूरे देश में डाटा सर्विसेज का एक पूरा नया मार्केट खड़ा हुआ है. बहुत से मॉडर्न इंटरनेट एप्लीकेशंस और मौजूदा इस्तेमाल को देखा जाए तो अब ऊंची स्पीड की जरूरत है.
BIF ने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी TRAI को दिए गए अपनी सुझाव में कहा है कि 'ये हमारा मानना है कि ब्रॉडबैंड की मौजूदा परिभाषा न तो टेक्नोलॉजी डेवपलमेंट की और न ही भारतीय कंज्यूमर की ऊंची ब्रॉडबैंड स्पीड की जरूरतों को पूरा करती है, इसे दोबारा देखने और परिभाषित करने की जरूरत है'
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BIF के इन सुझावों पर TRAI ने एक डिसकशन पेपर जारी किया है, जिसमें कंपनियों समेत इस सेक्टर से जुड़े स्टेकहोल्डर्स से उनके सुझाव मांगे गए हैं. उनसे पूछा गया है कि 'क्या ब्रॉडबैंड की मौजूदा परिभाषा की रीव्यू करने की जरूरत है, क्या डाउनलोड और अपलोड की स्पीड को रीव्यू करने की जरूरत है.' जब BIF के प्रेसिडेंट टी वी रामाचंद्रन से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मौजूदा 512 kbps की स्पीड ब्रॉडबैंड की परिभाषा के हिसाब से काफी कम है, लंबे समय से इसे 2 Mbps तक अपग्रेड करने की बात हो रही है. ग्लोबल बेंचमार्क को छोड़ भी दें तो नेशनल पॉलिसी नियमों के हिसाब से भी इसे 2 Mbps होना चाहिए.'
BIF के मुताबिक 4G आने के बावजूद भारत में की ब्रॉडबैंड स्पीड दुनिया में इंटरनेट स्पीड से आधे से भी कम है. BIF ने TRAI को सुझाव दिया है कि 'ब्रॉडबैंड कनेक्शन' कहलाने के लिए नेटवर्क को डाउनलोड और अपलोड 2Mbps की स्पीड में देना चाहिए, भले ही वो कोई भी माध्यम हो या टेक्नोलॉजी हो.
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