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नई दिल्ली: GST लागू होने के बाद भी फ्लैट्स के दाम नहीं घटाने वाले बिल्डर्स पर एक्शन शुरू हो चुका है. National Anti-profiteering Authority (NAA) जो अबतक कोरोना वायरस संकट की वजह से चुप बैठी थी, अब उन बिल्डर्स पर शिकंजा कसने जा रही है जिन्होंने 2017 में GST आने के बाद भी टैक्स में कमी का फायदा घर खरीदारों को नहीं दिया और फ्लैट्स के दाम नहीं घटाए हैं.
न्यूज पोर्टल Livemint में छपी खबर के मुताबिक, नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी ने इस महीने तक दो बिल्डर्स को आदेश दिया कि वो घर अपने फ्लैट्स की कीमतें घटाएं और मुनाफे की रकम को 18 परसेंट के हिसाब से घर खरीदारों दे. हालांकि NAA ने बिल्डरों पर पेनाल्टी के अपने आदेश को वापस ले लिया है, क्योंकि पेनाल्टी का नियम जनवरी में आया था और इसे पुरानी तारीख से लागू नहीं किया जा सकता. NAA ने कई बिल्डर्स को पेनाल्टी के भी नोटिस जारी किए थे.
1 जुलाई 2017 को पूरे देश में GST कानून लागू हुआ था. जिसके तहत बिल्डर्स को बिल्डर्स अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर बिल्डिंग मैटेरियल, सर्विसेज और दूसरी सुविधाओं पर टैक्स छूट ले सकते थे, जो कि पहले के टैक्स सिस्टम में नहीं था. GST के पहले सिस्टम में केंद्र और राज्य सरकारें अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टीज पर कई तरह के टैक्स वसूलती थीं, जो कुल मिलाकर 5.5-6.5 परसेंट होता था. लेकिन नए सिस्टम में इसे 12 परसेंट कर दिया गया, जिसमें बिल्डर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा भी मिलता था.
जब ये देखा गया कि बिल्डर्स सिर्फ टैक्स की दरों को देखकर ही फ्लैट्स के दाम बढ़ा रहे हैं और टैक्स क्रेडिट का फायदा घर खरीदारों को नहीं दे रहे हैं, GST काउंसिल ने इनपुट टैक्स क्रेडिट देने का फैसला वापस ले लिया और टैक्स रेट को 12 परसेंट से घटाकर 5 परसेंट कर दिया. अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के केस में ये टैक्स 8 परसेंट से घटाकर 1 परसेंट कर दिया गया और इस नए नियम को 1 अप्रैल 2019 से लागू किया गया.
2019 के अंत तक 38 मामलों में सुनाए गए फैसलों में 80 परसेंट ऐसे थे जिसमें बिल्डर्स के खिलाफ प्रॉफिटियरिंग चार्ज साबित हुए थे, यानि इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा वो हजम कर गए और न कि इसको घर खरीदारों को दिया गया. इसलिए फाइनेंस एक्ट 2019 में पेनाल्टी को शामिल किया गया, जिसमें 10 प्रॉफिटियरिंग रकम का 10 परसेंट पेनाल्टी लगाने का प्रावधानि किया गया, इस नियम को इसी साल 1 जनवरी 2020 को लागू किया गया. इस कानून के तहत बिल्डर अगर प्रॉफिटिरिंग अमाउंट 30 दिन के अंदर जमा नहीं करता है तो उसे पेनाल्टी चुकानी होगी. आपको बता दें कि NAA को अधिकार होता है कि वो बिल्डर्स को फ्लैट्स के दाम घटाने का आदेश दे सके.
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