टेलीकॉम सेक्टर को सरकार से बड़ी राहत, 100 फीसदी FDI को कैबिनेट की मंजूरी
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टेलीकॉम सेक्टर को सरकार से बड़ी राहत, 100 फीसदी FDI को कैबिनेट की मंजूरी

कैबिनेट की ओर से लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स के बकाया पर 4 साल के मॉरेटोरियम को भी मंजूरी दी गई है. लेकिन इसके लिए उन्हें सरकार को ब्याज देना होगा. 

टेलीकॉम ऑपरेटर्स के बकाया पर 4 साल के मॉरेटोरियम को भी मंजूरी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में रिफॉर्म के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद टेलीकॉम सेक्टर में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) मंजूरी दे दी गई है. यह निवेश ऑटोमेटिक रूट के लिए जरिए आ सकता है. इसके अलावा भी सुधार के मकसद से कई फैसले लिए गए हैं. 

  1. टेलीकॉम सेक्टर के लिए बड़े फैसला
  2. 100 फीसदी FDI को कैबिनेट की मंजूरी
  3. एजीआर की परिभाषा में होगा बदलाव

चार साल के मॉरेटोरियम को मंजूरी

कैबिनेट की ओर से लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स के बकाया पर 4 साल के मॉरेटोरियम को भी मंजूरी दी गई है. लेकिन इसके लिए उन्हें ब्याज देना होगा. इसके साथ ही सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ाने और ग्राहकों को हितों को ध्यान में रखते हुए कई बड़े फैसले लिए हैं.

कोरोना काल के दौरान टेलीकॉम सेक्टर की जिम्मेदारियां काफी बढ़ गई थीं क्योंकि इस दौरान डाटा की खपत, सोशल मीडिया का इस्तेमाल और वर्चुअल मीटिंग में बढ़ोतरी हुई थी. चुनौती के इस वक्त में भी सेक्टर से बेहतर प्रदर्शन किया है, हालांकि इस दौरान कुछ कंपनियां आर्थिक बोझ के तले दब गई थीं जिन्हें सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद थी. अब जो सुधार किए जा रहे हैं उससे आने वाले दौर में ब्रॉडबैंड और टेलीकॉम कनेक्टिविटी को और ज्यादा मजबूती मिलेगी.

 मंथली इंटरेस्ट रेट अब हुआ सालाना

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि टेलीकॉम सेक्टर में 9 बड़े रिफॉर्म किए गए हैं. इसमें एजीआर बकाए की परिभाषा में बदलाव किया जाएगा साथ ही कंपनियों के मंथली इंटरेस्ट रेट को अब सालाना कर दिया गया है. इसके अलावा जुर्माने पर भी राहत दी गई है. स्पेक्ट्रम की अवधि भी अब 20 साल से बढ़कर 30 साल हो गई है. 

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इसके साथ ही सरकार ने टेलीकॉम में 100 फीसदी एफडीआई को भी मंजूरी दे दी है. अब विदेशी कंपनियां भारत में किसी कंपनी में अपने पूरे शेयर लगा सकेंगी या किसी इंडियन कंपनी को पूरी तरह से खरीद भी सकती हैं.

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