Rs 2000: जुलाई के शुरुआती हफ्ते में ही 2000 रुपये के नोट पर आया बड़ा अपडेट, कोर्ट ने उठाया अहम कदम
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Rs 2000: जुलाई के शुरुआती हफ्ते में ही 2000 रुपये के नोट पर आया बड़ा अपडेट, कोर्ट ने उठाया अहम कदम

RBI ने 19 मई को दो हजार रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी और कहा था कि मौजूदा नोट को 30 सितंबर तक बैंक खातों में जमा किया जा सकता है या बदला जा सकता है. इससे पहले, उच्च न्यायालय ने वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका को खारिज कर दिया था.

Rs 2000: जुलाई के शुरुआती हफ्ते में ही 2000 रुपये के नोट पर आया बड़ा अपडेट, कोर्ट ने उठाया अहम कदम

Rupee 2000 Note: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दो हजार रुपये के नोट को चलन से वापस लेने के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायाधीश सुब्रमण्यम प्रसाद ने याचिका खारिज कर दी. इससे पहले याचिका पर 30 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. याचिकाकर्ता रजनीश भास्कर गुप्ता ने दलील दी थी कि आरबीआई के पास दो हजार रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की कोई शक्ति नहीं है और इस संदर्भ में केवल केंद्र सरकार ही फैसला कर सकती है.

2000 रुपये का नोट
उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि आरबीआई के पास किसी भी मूल्य के बैंक नोट को बंद करने का निर्देश देने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है. यह शक्ति केवल वर्ष 1934 के आरबीआई अधिनियम की धारा 24 (2) के तहत केंद्र सरकार के पास निहित है. याचिका का आरबीआई ने यह कहते हुए विरोध किया था कि दो हजार रुपये के नोट को चलन से वापस लेना 'मुद्रा प्रबंधन अभियान’ का हिस्सा है और यह आर्थिक योजना से जुड़ा मामला है.

चलन से वापस लेने का ऐलान
आरबीआई ने 19 मई को दो हजार रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी और कहा था कि मौजूदा नोट को 30 सितंबर तक बैंक खातों में जमा किया जा सकता है या बदला जा सकता है. इससे पहले, उच्च न्यायालय ने वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका को खारिज कर दिया था.

2,000 रुपये के बैंक नोट
याचिका में दावा किया गया था कि बिना किसी साक्ष्य के 2,000 रुपये के बैंक नोट को बदलने की सुविधा देने वाली वाली आरबीआई और एसबीआई की अधिसूचनाएं मनमानी और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बनाये गये कानून के खिलाफ है. इस बारे में उच्च न्यायालय ने कहा था कि नागरिकों को होने वाली असुविधा से बचाने के लिए ऐसा किया गया है. अदालत ने यह भी कहा कि वह किसी नीतिगत निर्णय पर अपीलीय प्राधिकरण के रूप में कार्य नहीं कर सकती. (इनपुट: भाषा)

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