अदालत ने कहा कि ‘बोरोलीन’ ट्रेडमार्क की बाजार में काफी साख और लोकप्रियता है. यह न केवल भारत बल्कि ओमान और तुर्की जैसे दूसरे देशों में भी मशहूर प्रोडक्ट है. अदालत ने यह फैसला जीडी. फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से दायर वाद पर दिया. कंपनी के पास ‘ओवर-द-काउंटर’ एंटीसेप्टिक क्रीम बोरोलीन का मालिकाना हक और मार्केटिंग का अधिकार है.
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Boroline in Delhi High Court: देश की आजादी से पहले से लेकर अब तक घर-घर में इस्तेमाल होने वाली ‘बोरोलीन’ क्रीम का मामला अदालत में पहुंचा तो जज ने विपक्षी को बताया कि यह एक 'सुप्रसिद्ध ट्रेडमार्क' है. जब इस क्रीम को देश में 1929 में शुरू किया गया था तो उस समय देश पर अंग्रेजों का शासन था. तब से लेकर आज तक यह हर घर में जाना-पहचाना नाम बन गई है. आज दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रेडमार्क अधिनियम के तहत ‘बोरोलीन’ को 'सुप्रसिद्ध ट्रेडमार्क' घोषित किया है. साथ ही दूसरी कंपनी को अपना 'ट्रेड ड्रेस' बदलने का आदेश दिया है, ताकि यह उस एंटीसेप्टिक क्रीम जैसी न लगे, जो 'घर-घर में जाना-पहचाना नाम' बन गयी है.
‘बोरोलीन’ ट्रेडमार्क की बाजार में काफी साख
‘ट्रेड ड्रेस’ का मतलब ऐसे प्रोडक्ट या सर्विस के स्वरूप या डिजाइन से है, जो उसे बाजार में उस तरह के दूसरे प्रोडक्ट से अलग करता है. अदालत ने कहा कि ‘बोरोलीन’ ट्रेडमार्क की बाजार में काफी साख और लोकप्रियता है. यह न केवल भारत बल्कि ओमान और तुर्की जैसे दूसरे देशों में भी मशहूर प्रोडक्ट है. अदालत ने यह फैसला जीडी. फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से दायर वाद पर दिया. कंपनी के पास ‘ओवर-द-काउंटर’ एंटीसेप्टिक क्रीम बोरोलीन का मालिकाना हक और मार्केटिंग का अधिकार है. कंपनी की तरफ से ‘बोरोब्यूटी’ नामक 'भ्रामक रूप से समान' उत्पाद के निर्माण और बिक्री के खिलाफ मुकदमा दायर किया था.
इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ का उल्लंघन किया
वादी कंपनी ने तर्क दिया कि सेंटो प्रोडक्ट्स (इंडिया) ने क्रीम के लिए बोरोलीन की 'ट्रेड ड्रेस' यानी 'एक विशिष्ट गहरे हरे रंग की ट्यूब जिसपर अष्टकोणीय काले रंग का ढक्कन होता है' को अपनाया. यह इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ का उल्लंघन था. न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने ‘बोरोब्यूटी’ के मौजूदा स्वरूप में निर्माण और बिक्री पर रोक लगाते हुए इस महीने की शुरुआत में पारित आदेश में प्रतिवादी को उसके 'ट्रेड ड्रेस' और ट्रेडमार्क को कुछ ऐसे रूप में बदलने का निर्देश दिया, जो 'वादी के सुप्रसिद्ध ट्रेडमार्क और ‘ट्रेड ड्रेस’ से पूरी तरह अलग और भिन्न हो.' अदालत ने प्रतिवादी को निर्देश दिया कि वह वादी दो लाख रुपये अदा करे.
कैसे हुई ‘बोरोलीन’ की शुरुआत?
बोरोलीन की कहानी 1929 शुरू हुई. उस समय देश में अंग्रेजों का शासन था. उस समय कोलकाता के मशहूर कारोबारी गौरमोहन दत्ता ने जीडी फार्मास्यूटिकल्स की शुरुआत की. इसे देश में आयात किए जाने वाले औषधीय प्रोडक्ट की क्वालिटी को टक्कर देने के मकसद से बाजार में लॉन्च किया गया था. कंपनी का मकसद ऐसे प्रोडक्ट को तैयार करना रहा जो हर भारतीय की स्किन पर सूट करते हों. हरे रंग की ट्यूब में आने वाली इस क्रीम को गहरे घाव, फुंसी और अलग-अलग तरह की परेशानियों में इस्तेमाल किया जाता है.