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नई दिल्ली. भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है. इससे बिजनेस और इनकम के कई नए अवसर खुल गए हैं. कुछ लोग कम दिनों में ज्यादा पैसे कमाने की फिराक में रहते हैं और क्रिप्टोकरेंसी में इंवेस्ट करते हैं, वहीं कुछ लोग इस]से रेस्तरां और दुकानों में पेमेंट (Payment) के रूप में इस्तेमाल करते हैं. अभी इस बात में काफी संदेह है कि सरकार इस क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स (Tax on Cryptocurrency) कैसे लगाएगी. सरकार द्वारा पहले क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाया गया उसके बाद इसे बिजनेस में इस्तेमाल करने की अनुमति देने के कदम ने संदेह को और ज्यादा बढ़ा दिया है.
2018 में, भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को बिटकॉइन, एथेरियम, डॉगकोइन और इन जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन की सुविधा को बैन कर दिया था. बाद में, 2020 की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल की अनुमति दे दी. इसके बाद भी अभी तक क्रिप्टोकरेंसी को कानूनन मुद्रा का दर्जा नहीं मिला है. आरबीआई ने कहा है कि वह क्रिप्टोकरेंसी पर काम कर रहा है और सावधानी के साथ आगे बढ़ेगा.
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अब आपको क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स देना होगा. सरकार क्रिप्टोकरेंसी और उनके उपयोग के आधार पर टैक्स को विभाजित करने की योजना बना रही है. ऐसा माना जा रहा है कि ये टैक्स क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और भुगतान में लगेगा. सरकार ने पहले ही वर्चुअल करेंसी से डील करने वाली कंपनियों के लिए ट्रांजैक्शन पर हुए प्रॉफिट या लॉस का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया है. इसके अलावा कंपनियों से उनकी बैलेंस शीट में क्रिप्टोकरेंसी की मात्रा का खुलासा करने के लिए भी कहा गया है. लेकिन अभी तक उनके लेनदेन को नियंत्रित करने के लिए टैक्स लगाने का कोई कानून नहीं बना.
क्रिप्टोकरेंसी से इनकम के मुख्य रूप से चार सिनेरियो हैं.
Mining क्रिप्टोक्यूरेंसी स्वनिर्मित पूंजीगत संपत्ति है. ऐसे बिटकॉइन की बाद में बिक्री से आमतौर पर पूंजीगत फायदा होता है.
एक निवेश के रूप में क्रिप्टोकरेंसी के प्राइज का आंकलन इस बात पर निर्भर करता है कि उसे कब तक होल्ड रखा गया है. इसके लिए कई लोग क्रिप्टोकरेंसी में अपने रियल मनी से इंवेस्ट करते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड करने से होने वाली इनकम से बिजनेस में होने वाली इनकम बढ़ेगी. इसलिए प्रॉफिट पर लागू टैक्स स्लैब के रूप में टैक्स लगाया जा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले प्रॉफिट को इनकम का का सोर्स माना जा सकता है. यानी इससे होने वाली कमाई पर टैक्स लगाया जाएगा.
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