वेनेजुएल में आर्थिक संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां एक ब्रेड की कीमत हजारों रुपये हैं.
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न्यूयॉर्क: वेनेजुएला की आर्थिक हालत बेहद नाजुक है. अमेरिका इस कोशिश में जुटी है कि निकोलस मादुरो सरकार को सत्ता से किसी तरह हटाया जाए. इसके लिए अमेरिका पुरी तरह से आर्थिक और कूटनीतिक अभियान चला रहा है. इस सिलसिले में वहां के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले से मुलाकात के दौरान इस पर चर्चा की. उन्होंने भारत से अपील की कि वह वेनेजुएला से तेल नहीं खरीदे. बता दें, वेनेजुएला भारत को निर्यात करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है.
दोनों देश के विदेश सचिवों की मुलाकात के बाद पोम्पियो ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "मुझे विश्वास है कि वे भी वेनेजुएला के लोगों के लिए वास्तविक खतरे को समझते हैं." उन्होंने कहा, "हम भारत से भी कह रहे हैं कि वह मादुरो शासन की आर्थिक जीवन रेखा न बने."उन्होंने हालांकि यह बताने से इनकार कर दिया कि गोखले की प्रतिक्रिया क्या थी. उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा, "मैं निश्चित रूप से बातचीत की जानकारी नहीं दे सकता. यह निजी बातचीत है."
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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन और उसके सहयोगियों ने वेनेजुएला के विपक्ष के नेता और नेशनल एसेंबली के अध्यक्ष जुआन गुआइदो को देश के राष्ट्रपति के रूप में मान्यता दे दी है और उन्होंने मादुरो से पद छोड़ने को कहा है. अपने संवाददाता सम्मेलन के दौरान पॉम्पियो ने क्यूबा, रूस और चीन की मादुरो सरकार को समर्थन देने के लिए आलोचना की. उन्होंने कहा, "क्यूबा और रूस वेनेजुएला के लोगों के लोकतांत्रिक और उनके कल्याण के सपने को कमजोर कर रहे हैं."
गौरतलब है कि भारत, वेनेजुएला के तेल का एक प्रमुख आयातक है, जिसके लिए वह नकद भुगतान करता है. 2017-18 में भारत ने वेनेजुएला से 1.15 करोड़ टन तेल का आयात किया था, जो इसका चौथा सबसे बड़ा स्रोत है. इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी पिछले महीने ट्विटर पर भारत को चेताया था कि अगर वह वेनेजुएला से तेल खरीदता है तो उसे याद रखा जाएगा. डोनाल्ड ट्रंप यह कह चुके हैं कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सत्ता से अपदस्थ करने के लिए सैन्य हस्तक्षेप के अलावा अब कोई विकल्प नहीं है.
इस देश में 80 हजार रुपये लीटर बिक रहा है दूध, अब गुल होने जा रही बिजली!
नेजुएल में आर्थिक संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां एक ब्रेड की कीमत हजारों रुपये हो गए हैं. एक किलो मीट के लिए 3 लाख रुपये तो एक लीटर दूध के लिए 80 हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. महंगाई का स्तर इस हद तक पहुंच चुका है कि करेंसी की कोई कीमत नहीं रह गई है. यहां की महंगाई दर 10 लाख फीसदी पार कर चुकी है. कुल मिलाकर यहां आपातकाल जैसी स्थिति हो गई है. पिछले हफ्ते से बिजली गुल होनी शुरू हो गई, जिसकी वजह से अस्पतालों के इमरजेंसी वार्डों में मरीजों की मौत हो रही है.