अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत को झटका, अब एक्सपोर्ट करना होगा महंगा
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत को झटका, अब एक्सपोर्ट करना होगा महंगा

वर्तमान में भारत से अमेरिका एक्सपोर्ट किए जाने वाले किसी भी सामान पर एक्सपोर्ट टैक्स नहीं भरना होता है.

अमेरिका से जो सामान भारत एक्सपोर्ट किया जाता है उस पर 100 फीसदी टैक्स वसूला जाता है. (फाइल)

वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को बहुत बड़ा झटका देते हुए कहा कि भारत हमसे बहुत ज्यादा टैरिफ वसूल करता है, जबकि हम उससे किसी तरह का टैरिफ नहीं वसूलते हैं. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. भारत को भी अमेरिका को एक्सपोर्ट करने के लिए टैरिफ देना होगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका भारत को बाइक एक्सपोर्ट करता है तो उसपर उसे 100 फीसदी टैक्स देना होता है. इससे कीमत दो गुनी हो जाती है. लेकिन, भारत से जो सामान अमेरिका एक्सपोर्ट किए जाते हैं उस पर हम किसी तरह का टैक्स नहीं लगाते हैं.

ट्रंप ने कहा कि अमेरिका बेवकूफ नहीं है, इसलिए अब हम रेसिप्रोकल टैक्स भारत से भी वसूलेंगे. हालांकि, यह टैक्स कितना होगा इसको लेकर कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि सीनेट के विरोध के चलते अभी तक हमने टैक्स नहीं बढ़ाया था, लेकिन अब भारत पर भी हाई टैरिफ की वजह से रेसिप्रोकल टैक्स लगाया जाएगा.

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कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस (CPAC) की सालान बैठक के आखिरी दिन डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह व्यवस्था ठीक नहीं है कि हम एक्सपोर्ट के बदले 100 फीसदी टैक्स दें और इंपोर्ट पर किसी तरह का चार्ज नहीं वसूलें. बता दें, 'मेक इन इंडिया' प्रधानमंत्री मोदी का का महत्वाकांक्षी प्रोग्राम है. वे इसके जरिए भारत में निवेश को बढ़ावा देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और उनका सपना है कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित किया जाए. भारत के सामने बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. इस समस्या को दूर करने का एकमात्र रास्ता है कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित किया जाए. दूसरी तरफ डोनाल्ड ट्रंप अपने देश के व्यापारियों से वापस अमेरिका आने की अपील कर रहे हैं. वे बार-बार इस बात को दोहराते हैं कि आप वापस अमेरिका आएं और इसे एक बार फिर से महान बनाएं.

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भारत अमेरिका को हर साल करीब 5.6 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट करता है जिसपर किसी तरह का ड्यूटी (टैक्स) नहीं वसूला जाता है. भारत 1970 के दशक से इस सुविधा का लाभ उठाता आ रहा है. जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (GSP) की वजह से अमेरिका का फिक्सल डेफिसिट बहुत ज्यादा है. इसलिए, अमेरिका इस प्रोग्राम को धीरे-धीरे बंद करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.

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