'क्‍या आप भी ऑनलाइन खरीदते हैं दवाई... तो पहले जान लीजिए वह नकली है या असली'
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'क्‍या आप भी ऑनलाइन खरीदते हैं दवाई... तो पहले जान लीजिए वह नकली है या असली'

केमिस्ट और ड्रग्स एसोसिएशन का कहना है कि ई-फार्मेसी यानी ऑनलाइन दवाओं का कारोबार बगैर किसी नियम के धड़ल्ले से चल रहा है.

ऑनलाइन ऐसी दवाएं बेची जा रही हैं जो बगैर डाक्टर के पर्चे या सलाह के नहीं दी जा सकती. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली (सुमन अग्रवाल): क्‍या दवा ऑनलाइन मंगाना सही है? कहीं सस्‍ते के चक्‍कर में तो आप उसे ऑनलाइन नहीं मंगा रहे? ये कैसे पता चलेगा कि वे नकली हैं या नहीं? केमिस्ट और ड्रग्स एसोसिएशन ने ऑनलाइन दवा कारोबार पर ऐसे कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उसका कहना है कि ई-फार्मेसी यानी ऑनलाइन दवाओं का कारोबार बगैर किसी नियम के धड़ल्ले से चल रहा है. पिछले कुछ साल से ये कारोबार बढ़ गया है. यहां ऐसी दवाएं बेची जा रही हैं जो बगैर डाक्टर के पर्चे या सलाह के नहीं दी जा सकती है लेकिन यहां धड़ल्ले से बेची जाती हैं. इन दवाओं का नुकसान जाने बगैर लोग इसे खरीद लेते हैं, इसके लिए किसी की जवाबदेही नहीं होती है. 

दवाओं का स्‍टैंडर्ड कैसे चेक होगा
एसोसिएशन के महासचिव राजीव सिंघल बताते हैं कि कस्टमर के लिए अच्छी बात यह है कि उन्हें सस्ती दवाएं मिलती हैं लेकिन उन दवाओं का स्टैंडर्ड क्या होता है, क्या वे नकली होती हैं, उनकी गुणवत्ता की जवाबदेही किसी की नहीं होती है. हम सरकार के ड्राफ्ट पर भी सवाल करते हैं. हमने प्रस्ताव दिए हैं कुछ और नियम उसमें जोड़े जाने चाहिए. 

लोगों की सेहत को खतरा
सिंघल ने कहा कि दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री से कारोबारियों को नुकसान होने के साथ ही लोगों को भी खतरा है. इसकी वजह यह है कि नींद की दवाई एक वेबसाइट के अलावा अन्य वेबसाइट से भी अनगिनत संख्या में मंगाई जा सकती है. ऐसे ही अन्य दवाइयों को ऑनलाइन मंगाकर दुरुपयोग किया जा सकता है. इस पर कोई रोक-टोक नहीं है. जहां रिटेलर मेडिसिन पर 18-20% छूट देते हैं, वहीं ऑनलाइन कंपनियां 30-60 फीसदी तक छूट देती हैं.

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8 लाख दुकानें बंद
सिंघल ने बताया कि इसके विरोध में शुक्रवार को देश की कुल 8 लाख के करीब दवा दुकानें बंद रहेंगी. केमिस्ट और ड्रग्स एसोसिएशन ने इ फार्मेसी के विरोध में देशभर में बंद बुलाया है. लेकिन इमरजेंसी के लिए जिला, गांव और तहसील में दवाएं मुहैया कराई जाएंगी. हालांकि अस्पताल के अंदर भी जो दवा दुकानें हैं वे खुली रहेंगी. छोटे शहरों में दुकानों की सूची और कुछ हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं.

छोटे व्‍यापारियों का रोजगार छिना
एसोसिएशन का दावा है कि ऑनलाइन दवा बाज़ार की वजह से जो छोटे और खुदरा मेडिकल व्यापारी हैं उनका नुकसान हो रहा है, यहीं नहीं लाखों लोग जो मेडिकल से जुड़े हैं उनका रोजगार छिन गया है. सबसे बड़ी बात है सरकार ने ई फार्मेसी पर शिकंजा कसने के लिए एक ड्राफ्ट बनाया है लेकिन अभी कानून आने में बहुत वक्त लगेगा तब तक ऑनलाइन दवाओं का बाजार किसी भी नियम या ड्रग्स कास्मेटिक एक्ट के बाहर रहकर काम कर रहा है.

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