Edible Oil: खुशखबरी! सस्ता हो गया तेल, इस कारण से आई भारी गिरावट, ये है नए दाम
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Edible Oil: खुशखबरी! सस्ता हो गया तेल, इस कारण से आई भारी गिरावट, ये है नए दाम

Oil Price: दूसरी ओर बंदरगाहों पर सस्ते आयातित हल्के तेलों की भरमार होने से भी देशी हल्के तेल तिलहन (सॉफ्ट आयल) कीमतों में गिरावट आई. सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खाद्यतेलों के दाम काफी टूटे हैं और देशी तेल तिलहनों की लागत अधिक होने के कारण सरसों, मूंगफली और सोयाबीन, बिनौला जैसे देशी हल्के तेल तिलहन कीमतों पर भारी दबाव है.

Edible Oil: खुशखबरी! सस्ता हो गया तेल, इस कारण से आई भारी गिरावट, ये है नए दाम

Edible Oil Price: बंदरगाहों पर सस्ते आयातित तेलों का भंडार जमा होने के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली जबकि सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल तिलहन के भाव अपरिवर्तित रहे. बाजार सूत्रों ने कहा कि गुजरात की मंडियों में मकर संक्रांति की छुट्टियों के कारण कारोबारी गतिविधियां ठप रहने से मूंगफली तेल तिलहन के भाव अपरिवर्तित रहे.

हल्के तेल तिलहन
दूसरी ओर बंदरगाहों पर सस्ते आयातित हल्के तेलों की भरमार होने से भी देशी हल्के तेल तिलहन (सॉफ्ट आयल) कीमतों में गिरावट आई. सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खाद्यतेलों के दाम काफी टूटे हैं और देशी तेल तिलहनों की लागत अधिक होने के कारण सरसों, मूंगफली और सोयाबीन, बिनौला जैसे देशी हल्के तेल तिलहन कीमतों पर भारी दबाव है. सूत्रों ने कहा कि देश को ऐसे सस्ते आयातित तेलों पर अंकुश लगाने की पहल करनी होगी अन्यथा इनके सामने आने वाली सरसों की फसल और पहले आ चुके सोयाबीन का खप पाना लगभग असंभव हो जाएगा और हमारा स्टॉक और बढ़ सकता है.

नीतिगत बदलाव
उन्होंने कहा कि मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देश भी अपने तेल तिलहन उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी नीतिगत बदलाव समय समय पर करते रहते हैं. तेल तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के लिए प्रयासरत भारत को भी अपने तिलहन तेल के हित में वातावरण बनाने की आवश्यकता है. सूत्रों ने कहा, "हमें इस संदर्भ में सबसे पहले तो शुल्कमुक्त आयात की छूट समाप्त करनी होगी और इन आयातित तेलों पर आयात शुल्क लगाने की ओर ध्यान देना होगा. छूट से खुदरा बाजार में न तो ग्राहक और तेल उद्योग और न ही किसानों को कोई फायदा मिलता दिख रहा है. सोयाबीन के शुल्क मुक्त आयात की समयसीमा एक अप्रैल से खत्म हो जाएगी. लेकिन सूरजमुखी पर यह छूट जारी है जिसे बंद करने के बारे में सोचना होगा."

आयात का खर्च
उन्होंने कहा कि बंदरगाह पर सोयाबीन, सूरजमुखी तेल के आयात का खर्च 102-103 रुपये प्रति लीटर बैठता है और ग्राहकों को यह तेल खुदरा बाजार में 125-135 रुपये के भाव पर मिलना चाहिये. लेकिन देश के किसी भी कोने में यह 175-200 रुपये प्रति लीटर तक के दाम पर बिक रहा है. मॉल और बड़ी दुकानों में ग्राहकों को ये तेल, अधिकतम खुदरा मूल्य मनमाना ढंग से तय करने की वजह से ऊंचे दाम पर खरीदना पड़ता है.. सूत्रों ने कहा कि खुदरा में मूंगफली तेल के 900 ग्राम के पैक पर लगभग 170 रुपये की लागत बैठती है मगर इस पर एमआरपी 240 रुपये छपा है. यह छोटी-छोटी बातें तेल कीमतों के सस्ता न होने की वजह हो सकती हैं.

बढ़ती है महंगाई
सूत्रों ने कहा कि देशी तिलहन से हमें खल और डीआयल्ड केक (डीओसी) सस्ता मिलेगा. जिससे पूरा दूध उद्योग और मुर्गीपालन का क्षेत्र अभिन्नता से जुड़ा हुआ है. खल और डीओसी की कमी होने और महंगा होने से दूध, अंडे, चिकेन, मक्खन के दाम बढते हैं जिनसे महंगाई बढ़ती है. सूत्रों ने कहा कि औसतन प्रतिदिन एक इंसान 50 ग्राम खाद्यतेल खपत करता है लेकिन इसकी तुलना में दूध की खपत तीन गुनी चार गुनी से भी अधिक होती है. खाद्य तेलों के दाम जरा सा बढ़ने पर लोग हाय तौबा मचा देते हैं पर दूध के दाम पिछले चार पांच महीनों में काफी महंगे हुए हैं लेकिन इस पर कोई प्रश्न नहीं करता.

आत्मनिर्भरता हासिल करने की मंशा
सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार की तेल तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने की मंशा उचित है. इस दिशा में सरकार को अपने देशी तेल तिलहन के हित में अपनी सारी नीतियां बनानी होगी ताकि देशी तेल तिलहनों की खपत बढ़े और किसानों को लाभ मिले, देशी तेल मिलें पूरी क्षमता से काम करे, विदेशीमुद्रा की बचत हो और रोजगार भी बढ़े. ऐसे समय में सस्ता आयातित तेल हमारी मंशा को हासिल करने की दिशा में एक बड़ा संकट है.

शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे...

सरसों तिलहन - 6,680-6,730 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल.
मूंगफली - 6,675-6,735 रुपये प्रति क्विंटल.
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,780 रुपये प्रति क्विंटल.
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,490-2,755 रुपये प्रति टिन.
सरसों तेल दादरी- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल.
सरसों पक्की घानी- 2,025-2,155 रुपये प्रति टिन.
सरसों कच्ची घानी- 2,085-2,210 रुपये प्रति टिन.
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल.
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल.
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल.
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल.
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,350 रुपये प्रति क्विंटल.
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल.
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल.
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल.
सोयाबीन दाना - 5,550-5,650 रुपये प्रति क्विंटल.
सोयाबीन लूज- 5,295-5,315 रुपये प्रति क्विंटल.
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल. (इनपुट: भाषा)

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