अगर आपके पास पुरानी गोल्ड ज्वेलरी है और आप उसे बेचकर कुछ मुनाफा कमाना चाहते हैं तो ये खबर जरा ध्यान से पढ़िए, क्योंकि गोल्ड ज्वेलरी को बेचने से मुनाफा होगा या नहीं, लेकिन उसपर GST के रूप में टैक्स जरूर चुकाना पड़ सकता है. GST काउंसिल की अगली बैठक में इस पर जल्द ही फैसला हो सकता है.
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नई दिल्ली: अगर आपके पास पुरानी गोल्ड (Gold) ज्वेलरी है और आप उसे बेचकर कुछ मुनाफा कमाना चाहते हैं तो ये खबर जरा ध्यान से पढ़िए, क्योंकि गोल्ड ज्वेलरी को बेचने से मुनाफा होगा या नहीं, लेकिन उसपर GST के रूप में टैक्स जरूर चुकाना पड़ सकता है. GST काउंसिल की अगली बैठक में इस पर जल्द ही फैसला हो सकता है. केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने बताया कि राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह में पुराने सोने और ज्वेलरी की बिक्री पर 3 परसेंट GST लगाने पर सहमति बन गई है. अब इसे GST काउंसिल की बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा.
गोल्ड पर GST लगाने की तैयारी
पुराने गोल्ड और ज्वेलरी पर 3 परसेंट GST रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत लगाया जाएगा. रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म का मतलब होगा कि जो व्यक्ति आभूषण बेच रहा है वही सरकार को सीधा टैक्स चुकाएगा. सामान्य हालातों में माल खरीदने वाला व्यक्ति माल बेचने वाले को टैक्स देता है. उसके बाद माल बेचने वाला व्यक्ति टैक्स सरकार तक पहुंचाता है. आप अगर ज्वेलरी बेचते हैं जिसकी वैल्यू एक लाख रुपये बैठती है तो आपको उस पर 3000 रुपये GST चुकाना होगा.
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ज्वेलर्स के लिए ई-बिल भी जरूरी होगा
गोल्ड की खरीद फरोख्त में टैक्स चोरी रोकने के लिए भी मंत्रियों के समूह (GoM) में फैसला हुआ है. अब गोल्ड और ज्वेलरी की दुकानों को हर खरीद-बिक्री पर ई-बिल (e-invoice) निकालना होगा. जिससे ये पता चल सके कि गोल्ड कहां जा रहा है, इसे कौन खरीद रहा है. अभी इस बात पर चर्चा है कि गोल्ड के लिए ई-बिल की सीमा 5 करोड़ रखी जा सकती है. ये कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि अब भी कई जगहों पर सोने की बिक्री के बाद दुकानदार कच्चा बिल देते हैं. ताकि वो टैक्स चोरी कर सकें और कालाधन खपा सकें. अब इस पर रोक लगाने के लिए ई-बिल निकालना अनिवार्य करने की तैयारी है. इससे सोने की तस्करी भी रोकने में मदद मिलेगी. मंत्रियों के समूह की फाइनल रिपोर्ट GST काउंसिल के सामने पेश की जाएगी.