OTT कंटेंट पर कैंची चलाने की तैयारी! सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा 'कुछ कदम' उठाएंगे
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OTT कंटेंट पर कैंची चलाने की तैयारी! सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा 'कुछ कदम' उठाएंगे

OTT Regulations: Netflix, Amazon Prime Videos जैसे ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म पर परोसे जा रहे अनाप शनाप कंटेंट के दिन लदने वाले हैं.

OTT कंटेंट पर कैंची चलाने की तैयारी!

नई दिल्ली: OTT Regulations: Netflix, Amazon Prime Videos जैसे ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म पर परोसे जा रहे अनाप शनाप कंटेंट के दिन लदने वाले हैं. ऐसे आपत्तिजनक कंटेंट पर कैंची चलाने की तैयारी हो रही है. 

संसद में सूचना और प्रसारण मंत्री (Ministrer of Information and Broadcasting) प्रकाश जावडेकर ने पिछले हफ्ते संसद को बताया था कि OTT प्लेटफॉर्म्स को लेकर सरकार जल्द ही गाइडलाइंस जारी करेगी. 

अब केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि OTT प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए ‘कुछ कदम’ उठाने के बारे में सोच रही है. 

सुप्रीम कोर्ट ने संजय जैन से कहा कि मामला काफी लंबे समय से पेंडिंग है, क्या आप इसको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ऑटोनॉमस बॉडी के जरिए OTT को रेगुलेट करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सरकार से कहा है कि वो इस मामले पर छह हफ्ते में जवाब दाखिल करे. 

हालांकि शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट की राय ये भी थी कि जनहित याचिका देने वालों को इस बारे में पहले सरकार से बात करनी चाहिए. 

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सरकार का सुप्रीम कोर्ट में जवाब  

इस मामले की शुरुआत में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा था कि सरकार OTT को रेगुलेट करने को लेकर ‘कुछ कदम’ उठाने के बारे में सोच रही है. 

इस पर चीफ जस्टिस ने जैन से जवाब मांगा था कि, इस मामले में सरकार क्या कदम उठा सकती है और उसका जवाब छह हफ्ते में देने के लिए कहा था. 

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पिछले साल 15 अक्टूबर को केंद्र सरकार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अलावा इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किए थे. 

याचिका में क्या कहा गया?

याचिका दाखिल करने वाले वकीलों शशांक शेखर झा और अपूर्व आढ़तिया ने मांग की थी कि OTT/स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया कंटेंट की मॉनिटरिंग और मैनेजमेंट के लिए एक बोर्ड/संस्था/एसोसिएशन का गठन किया जाए. 

उनका कहना था कि देश में सिनेमा थिएटर्स फिलहाल जल्दी खुलने की उम्मीद नहीं है.  ऐसे में OTT/स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म ने फिल्म बनाने वालों और कलाकारों को अपना कंटेंट रिलीज करने का एक विकल्प दे दिया है.

क्योंकि उन्हें अपनी फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट लेने की भी जरूरत नहीं होती’

बीजेपी सासंद ने भी राज्य सभा में उठाया था मुद्दा 

आपको बता दें कि इस मुद्दे को बीजेपी के सांसद महेश पोद्दार (Mahesh Poddar) ने भी राज्य सभा में उठाया था. उन्होंने कहा था कि देश में आसानी से उपलब्ध इंटरनेट की सुविधा के साथ-साथ नेटफ्लिक्स (Netflix) जैसे कई OTT प्लेटफॉर्म तेजी से बढ़े हैं. 

कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से थिएटर बंद हो गए. मनोरजंन के साधन बंद होने से OTT प्लेटफॉर्म की पहुंच काफी बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि, 'इसके साथ ही इसने हमारे देश के युवाओं पर गलत प्रभाव भी डाला, हमारी संस्कृति और मान्यताओं पर सीधा हमला किया. 

'OTT को रेगुलेट करने की जरूरत है'

झारखंड से बीजेपी सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि 'ओटीटी प्लेटफॉर्म की भाषा और कंटेन्ट में सेक्सुअल डिस्क्रिमिनेशन या जेंडर डिस्क्रिमिनेशन साफ झलकता है. ऐसे सार्वजनिक माध्यमों पर महिलाओं के बारे में अश्लील शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है. 

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लील और फूहड़ भाषा का इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में जरूरी है कि सरकार बिना देरी किए तुरंत इंटरनेट रेगुलेशन लागू करे' 

40 OTT प्लेटफॉर्म पर पड़ेगा असर  

OTT प्लेटफॉर्म के लिए रेगुलेशन आने के बाद करीब 40 OTT प्लेटफॉर्म्स हैं जिन पर असर पड़ेगा. इसमें Netflix, Amazon Prime और HotStar (Disney Plus) शामिल हैं. 

आपको बता दें कि सितंबर 2020 में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 'इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) OTT प्लेटफॉर्म के सेल्फ रेगुलेटरी मॉडल को सपोर्ट करने से मना कर दिया था. नवंबर में सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर ऑनलाइन कंटेंट प्रोवाइडर्स को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन कर दिया था. 

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