GST Payment: गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसी पर सरकार मेहरबान, इस काम के ल‍िए द‍िया 31 मई तक का समय
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GST Payment: गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसी पर सरकार मेहरबान, इस काम के ल‍िए द‍िया 31 मई तक का समय

Goods and Services Tax: सेवाओं की आपूर्ति के आधार पर जीएसटी भुगतान के विकल्प के तहत वित्त वर्ष में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के साथ 12 प्रतिशत और आईटीसी के बिना 5 प्रतिशत टैक्‍स देना होता है.

GST Payment: गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसी पर सरकार मेहरबान, इस काम के ल‍िए द‍िया 31 मई तक का समय

Goods Transport Agencies: सरकार ने माल परिवहन एजेंसियों के लिये चालू वित्त वर्ष में सेवाओं की आपूर्ति के आधार पर जीएसटी देने की टाइम ल‍िम‍िट बढ़ाकर 31 मई कर दी है. माल एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था के तहत माल ढुलाई से जुड़ी एजेंसियों (GTA) के पास सेवाओं की आपूर्ति (फॉरवार्ड चार्ज) के आधार पर जीएसटी संग्रह और उसके भुगतान का विकल्प है. अगर वे यह विकल्प नहीं अपनाते हैं, तो कर देनदारी ‘रिवर्स चार्ज’ व्यवस्था के तहत सेवा प्राप्त करने वाले पर चली जाती है.

आईटीसी के बिना 5 प्रतिशत का टैक्‍स

सेवाओं की आपूर्ति के आधार पर जीएसटी भुगतान के विकल्प के तहत वित्त वर्ष में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के साथ 12 प्रतिशत और आईटीसी के बिना 5 प्रतिशत टैक्‍स देना होता है. इसके लिये माल परिवहन एजेंसियों को पिछले वित्त वर्ष के लिये फॉर्म 15 मार्च तक भरना होता है. जीएसटी कानून में संशोधन के तहत वित्त मंत्रालय ने मई में कहा, ‘जीटीए वित्त वर्ष 2023-24 के लिये विकल्प 31 मई तक अपना सकते हैं.’

जीएसटी का भुगतान करने का विकल्प
सड़क मार्ग से माल परिवहन की सेवा प्रदान करने वाली और इस मकसद के लिये बिल (कंसाइनमेंट नोट) जारी करने वाली इकाई जीएसटी (GST) के तहत जीटीए कहलाती हैं. संशोधन में आगे कहा गया है कि जीटीए अगर किसी भी वित्त वर्ष के दौरान नया कारोबार शुरू करता है या पंजीकरण के लिये निर्धारित सीमा पार करता है, तो वह उस वित्त वर्ष के दौरान आपूर्ति की गई सेवाओं पर जीएसटी का भुगतान करने का विकल्प चुन सकता है.

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि जीटीए के पास सामान की आपूर्ति या फिर आपूर्ति प्राप्त करने के आधार पर (रिवर्स चार्ज) कर देने का विकल्प है. दोनों के अपने फायदे-नुकसान हैं. मोहन ने कहा कि समान आपूर्ति आधार पर करदाताओं को टैक्स क्रेडिट के उपयोग और जोड़े गये मूल्य पर ही कर भुगतान की मंजूरी है. वहीं ‘रिवर्स चार्ज’ के तहत करों के भुगतान के लिये विस्तृत रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता नहीं होगी और कर के रूप में में फंसी कार्यशील पूंजी भी मुक्त होगी.

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