जीएसटी परिषद ने पहले ही 28 प्रतिशत की स्लैब में वस्तुओं की संख्या घटाकर 50 कर दी है. पहले इस स्लैब में 228 उत्पाद थे.
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मुंबई: करीब 200 वस्तुओं पर पिछले महीने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर घटाने के बाद सरकार ने शनिवार (9 दिसंबर) को संकेत दिया कि वह 28 प्रतिशत के शीर्ष स्लैब में शामिल वस्तुओं की समीक्षा कर सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने 10 नवंबर को करीब 200 उत्पादों पर जीएसटी की दर घटा दी थी. इनमें चुइंग गम, चॉकलेट, सौंदर्य उत्पाद, विग और हाथ की घड़ियां शामिल हैं. रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली 178 वस्तुओं को 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत के कर स्लैब में लाया गया था. इसके अलावा एसी और गैर एसी रेस्तरां के लिए पांच प्रतिशत की दर तय की गई थी.
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने शनिवार शाम यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमने पहले ही जीएसटी की 12 प्रतिशत को घटाकर पांच प्रतिशत और पांच प्रतिशत को छह उत्पादों पर शून्य कर दिया है. आगे चलकर हम 28 प्रतिशत के कर स्लैब की समीक्षा करेंगे.’’ जीएसटी परिषद ने पहले ही 28 प्रतिशत की स्लैब में वस्तुओं की संख्या घटाकर 50 कर दी है. पहले इस स्लैब में 228 उत्पाद थे.
12 फीसदी, 18 फीसदी जीएसटी दरों की जगह नया स्लैब संभव: सुशील मोदी
इससे पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बीते 8 दिसंबर को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद 12 और 18 फीसदी दरों को एक नए स्लैब में विलय करने की संभावनाओं की जांच करेगी, जो कि राजस्व में बढ़ोतरी पर निर्भर करेगा. जीएसटी परिषद के सदस्य मोदी ने यह भी कहा कि सामानों के ऊपर लगाए जानेवाले मूल्य टैग में सभी करों समेत मूल्य लिखा होना चाहिए. उन्होंने कहा, "जीएसटी परिषद 12 फीसदी और 18 फीसदी कर दरों को एक नए स्लैब में विलय करने की संभावना पर चर्चा करेगी. यह दर इन दोनों के बीच की एक दर हो सकती है. वहीं फिलहाल 50 वस्तुओं को 28 फीसदी के कर दायरे में रखा गया है, जिसमें से कई वस्तुओं को इससे निकाला जा सकता है."
उन्होंने यहां भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित परस्पर संवाद सत्र को संबोधित करते हुए कहा, "इन सब को राजस्व स्थिर हो जाने के बाद लागू किया जा सकता है और यह कर में उछाल आने पर निर्भर करता है." उन्होंने कहा कि परिषद ने 178 सामानों पर कर की दरों को घटाकर कर से जुड़े 90 फीसदी मुद्दों का समाधान कर दिया है. उन्होंने कहा, "मैंने जीएसटी परिषद को सुझाव दिया है कि वस्तुओं पर अंतिम कीमत सभी करों को मिलाकर दर्ज किया जाना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि परिषद इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देगी." उन्होंने कहा कि जीएसटी शासन में स्थिरता आने के बाद केंद्र और राज्य दोनों के राजस्व में बढ़ोतरी होगी.
मोदी ने कहा कि परिषद पेट्रोलियम उत्पादों, बिजली शुल्क और संपत्ति स्टैंप ड्यूटी को भी जीएसटी के तहत लाने पर विचार कर रही है. उन्होंने यह बात स्वीकार की कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) और वस्त्र क्षेत्र को जीएसटी शासन के शुरुआती दिनों में सबसे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि इन्हें पहले भी वैट के अंतर्गत कर में छूट दी गई थी. उन्होंने कहा कि परिषद उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करेगी.