Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सबसे पहले वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखकर इंश्योरेंस प्रीमियमर पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी को हटाने की मांग की थी. इस मामले के तूल पकड़ने के बाद वित्त मंत्री ने इससे जुड़े सवालों का जवाब संसद में दिया था.
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GST Council Meeting: पिछले दिनों नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिखकर हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम से जीएसटी हटाने की अपील की थी. इसके बाद ममता बनर्जी और विपक्षी सांसदों ने भी इंश्योरेंस प्रीमियम को जीएसटी दायरे से अलग करने की मांग की थी. वित्त मंत्री ने पिछले दिनों संसद में भी इस पर किये गए सवाल का जवाब दिया था. उन्होंने कहा था इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी के बारे में चर्चा जीएसटी काउंसिल करेगी. इसके बाद अब खबर आ रही है कि जीएसटी काउंसिल की तरफ से 8 और 9 सितंबर को बैठक की जाएगी और इस मामले को लेकर चर्चा की जाएगी. इसके अलावा, काउंसिल टैक्स की दर को सही करने की भी समीक्षा करेगी.
वित्त मंत्री की अध्यक्षता में होगी जीएसटी काउंसिल की मीटिंग
बैठक का आयोजन उस समय होगा जब फिटमेंट कमेटी और लॉ कमेटी (केंद्र और राज्यों के अधिकारियों वाली काउंसिल की सब-कमेटी) अपनी मीटिंग कर लेंगी. अलग-अलग पक्षों से मिले सुझाव के आधार पर ये कमेटियां अलग-अलग प्रस्तावों की तैयारी करेंगी. इन प्रस्तावों को काउंसिल के सामने पेश किया जाएगा. वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली और राज्यों के मंत्रियों से बनी जीएसटी काउंसिल केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किए जाने वाले सुझाव देगी.
बैठक को लेकर एजेंडा अभी तय नहीं किया गया
हालांकि बैठक को लेकर एजेंडा अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन कुछ मुद्दों पर जरूर चर्चा होगी. ऐसा ही एक मामला इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी को लेकर है. यह अब एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. बजट पर चर्चा के दौरान विपक्ष की तरफ से यह मामला उठाया गया था. इस पर जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा था कि जीएसटी लागू होने से पहले भी राज्यों ने इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स लगाया था.
18% जीएसटी का आधा हिस्सा राज्यों को जाता है
उन्होंने कहा था मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी में से करीब आधा हिस्सा सीधे राज्यों को जाता है. बचे हुए आधे हिस्से में से भी 41 प्रतिशत डिवोल्यूशन पूल में जाता है, जो कि राज्यों को ही मिलता है. इसका मतलब साफ है कि हर 100 रुपये में से 74 रुपये से ज्यादा राज्यों को मिलते हैं. उन्होंने यह जानकारी देने के साथ इस आरोप को सिरे से खारिज किया कि जीएसटी से इकट्ठा किया गया पैसा केंद्र सरकार अपने पास रखती है.
GST पर फैसला करने के लिए संसद सही जगह नहीं
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी पर फैसला करने के लिए संसद सही जगह नहीं है, बल्कि इसके लिए जीएसटी काउंसिल सही जगह है. सीतारमण ने कहा कि इंश्योरेंस के मामले पर जीएसटी काउंसिल तीन बार चर्चा कर चुकी है, लेकिन फिर भी यह बहस बार-बार सामने आती रहती है. एक और प्रमुख एजेंडा जिस पर काउंसिल की मीटिंग के दौरान चर्चा हो सकती है, वो यह कि टैक्स की दर को सही करना. जून में हुई पिछली काउंसिल की बैठक के अंत में सीतारमण ने कहा था कि मंत्री ग्रुप (GOM) अब तक हुई दरों को सही करने पर स्थिति रिपोर्ट पेश करेगा.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जीओएम के संयोजक हैं, जो टैक्स की दर को सही करने के लिए सिफारिशें देने के लिए जिम्मेदार हैं. सात सदस्यीय पैनल को टैक्स की दर को सही करने और उल्टे टैक्स सिस्टम को सुधारने का सुझाव देने का काम सौंपा गया है ताकि टैक्स ढांचे को आसान बनाया जा सके. जीएसटी छूट की लिस्ट की समीक्षा की जा सके और जीएसटी से होने वाली आमदनी में इजाफा किया जा सके.
बैठक में इंफोसिस को 32,000 करोड़ रुपये और 10 विदेशी एयरलाइंस को लगभग 10,000 करोड़ रुपये का जीएसटी भुगतान के लिए नोटिस जारी करने पर भी चर्चा होने की उम्मीद है. हालांकि, इंफोसिस ने कहा है कि महानिदेशालय, जीएसटी खुफिया विभाग (DGGI) ने वित्तीय वर्ष 2018 के लिए 3,898 करोड़ रुपये के पूर्व नोटिस की कार्यवाही को वापस ले लिया है.