HLL Privatisation: एयर इंडिया के बाद अब बिकेगी ये सरकारी कंपनी, खरीदारों की लिस्ट में कई बड़े नाम
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HLL Privatisation: एयर इंडिया के बाद अब बिकेगी ये सरकारी कंपनी, खरीदारों की लिस्ट में कई बड़े नाम

HLL Privatisation: देश में तेजी से प्राइवेटाइजेशन हो रहा है. एयर इंडिया के बाद अब एक और सरकारी कंपनी की कमान प्राइवेट हाथों में सौंपी जा रही है. इसके लिए सरकार को शुरुआती बोलियां भी मिलनी शुरू भी हो गई है. अडानी ग्रुप, पीरामल ग्रुप जैसे बड़े ग्रुप्स ने इसमें रुचि दिखाई है. 

HLL Privatisation

HLL Privatisation: देश में एक के बाद एक सरकारी कंपनियों का तेजी से निजीकरण किया जा रहा है. अब इसमें एक और नाम जुड़ने जा रहा है. एयर इंडिया के बाद केंद्र की मोदी सरकार एक और सरकारी कंपनी को बेचने की तैयारी कर ली है. एचएलएल लाइफकेयर (HLL Lifecare) की कमान अब प्राइवेट हाथों में सौंपी जा रही है. इसके लिए सरकार को बोली भी मिलने लगी है.

एचएलएल लाइफकेयर बेचने की तैयारी में सरकार 

दरअसल, HLL लाइफकेयर लिमिटेड में सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है यानी अब ये कंपनी भी निजी हाथों में चली जाएगी. लाइव मिंट में छपी खबर के मुताबिक, इस कंपनी के खरीददारों कीबोली आना भी शुरू हो गई है. भारतीय कंपनी समूह अडानी ग्रुप (Adani Group) और पिरामल हेल्थकेयर (Piramal Healthcare) सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कंपनी, एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड (HLL Lifecare limited (HLL) को खरीदने के लिए दौड़ में आगे चल रही हैं. की दौड़ में शामिल हैं.

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बोली के आधार पर होगी पूरी प्रक्रिया

सूत्रों की मानें तो जल्दी ही सरकार की तरफ से पीरामल ग्रुप, अडानी ग्रुप, अपोलो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स और मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (Meil) सहित बोलीदाताओं से एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड के लिए वित्तीय बोलियां मांगी जाएगी. सरकार इसे बेचने के लिए बोली मंगवाएगी. यानी इसकी पूरी प्रक्रिया बोलियों पर ही आधारित होगी. 

ड्यू डिलिजेंस जारी

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया है कि अभी ड्यू डिलिजेंस जारी है और विजेता के चयन की प्रक्रिया वित्तीय बोलियों के आधार पर किया जाएगा. जानकारों के मुताबिक, लेन-देन सलाहकार उनका मूल्यांकन कर रहा है, एचएलएल को खरीदने के लिए अडानी ग्रुप, पीरामल ग्रुप ने रुचि दिखाई है. गौरतलब है कि 14 दिसंबर को स्वास्थ्य क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए शुरुआती बोलियां मांगी थीं. 

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