IIP अगस्त में 5 महीने के न्यूनतम स्तर पर
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IIP अगस्त में 5 महीने के न्यूनतम स्तर पर

देश के औद्योगिक क्षेत्र में अभी नरमी बरकरार है। अगस्त में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर मात्र 0.4 प्रतिशत रही जो पांच महीने का निम्नतम स्तर है। इसको देखते हुए उद्योग जगत ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये सुधारों को मजबूती से आगे बढ़ाने की मांग की है।

IIP अगस्त में 5 महीने के न्यूनतम स्तर पर

नई दिल्ली : देश के औद्योगिक क्षेत्र में अभी नरमी बरकरार है। अगस्त में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर मात्र 0.4 प्रतिशत रही जो पांच महीने का निम्नतम स्तर है। इसको देखते हुए उद्योग जगत ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये सुधारों को मजबूती से आगे बढ़ाने की मांग की है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) द्वारा मापी जाने वाली औद्योगिक वृद्धि दर की धीमी रफ्तार का कारण मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र तथा उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र के उत्पादन का घटना है। आईआईपी अगस्त 2013 में केवल 0.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा था।

उद्योग मंडल सीआईआई के महासचिव चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘निवेश को गति देने तथा मांग को बढ़ाने के लिये कदम उठाये जाने की जरूरत है। इसके लिये जिन परियोजनाओं को मंजूरी मिली है, उसके क्रियान्वयन तेजी लायी जाए और कोयला तथा खनन क्षेत्रों के लिये प्रतिस्पर्धी बाजार उपलब्ध कराया जाए।’ हालांकि उन्होंने उम्मीद जतायी कि हाल में ‘मेक इन इंडिया’, श्रम नीति में लचीलापन लाने की जो घोषणाएं की गयी हैं और जो कदम उठाये गये हैं, उससे आने वाले समय में औद्योगिक उत्पादन में सुधार होना चाहिए।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से आज जारी आंकड़ों के अनुसार इस बार जुलाई की वृद्धि दर को संशोधित कर 0.41 प्रतिशत किया गया है। प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर इसे पहले 0.5 प्रतिशत बताया गया था। वित्त वर्ष 2014-15 के अप्रैल-अगस्त के दौरान औद्योगिक उत्पादन वृद्धि 2.8 प्रतिशत रही जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में उत्पादन एक साल पहले के स्तर पर ही बना हुआ था। जारी

ताजा आंकड़ों के अनुसार आईआईपी में 75 प्रतिशत भारांश रखने वाला विनिर्माण क्षेत्र में अगस्त में 1.4 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक वर्ष पूर्व इस क्षेत्र का उत्पादन में 0.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी। अप्रैल-अगस्त के दौरान इस क्षेत्र की वृद्धि दर 1.8 प्रतिशत रही जबकि एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में इसमें 0.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी। आलोच्य महीने में उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र के उत्पादन में 6.9 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक वर्ष पूर्व इसी महीने में 0.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी थी। अप्रैल-अगस्त के दौरान इस क्षेत्र के उत्पादन में 4.9 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि 2013-14 की इसी अवधि में इसमें 1.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी।

आईआईपी आंकड़ों के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए फिक्की के महासचिव ए दीदार सिंह ने कहा, ‘विनिर्माण क्षेत्र में नकारात्मक वृद्धि ये यह विश्वास फिर से मजबूत हुआ है कि विनिर्माण क्षेत्र गिरावट से अभी बाहर नहीं निकला है। उपभोक्ता और पूंजीगत वस्तुओं में नकारात्मक वृद्धि देखना ज्यादा चिंताजनक है। खासकर ऐसे समय जब हम उम्मीद कर रहे थे मांग में तेजी आएगी।’ उन्होंने कहा कि यह नियामकीय माहौल में सुधारों को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित करता है। साथ ही उन क्षेत्रोंे में हस्तक्षेप की मांग करता है जो नरमी में बने हुए हैं।

टिकाउ उपभोक्ता सामान खंड में अगस्त में 15 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक वर्ष पूर्व इसमें 8.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। अप्रैल-अगस्त के दौरान यह क्षेत्र 12.9 प्रतिशत संकुचित हुआ जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसमें 11.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी।

गैर-टिकाउ उपभोक्ता वस्तु उद्योगों के उत्पादन में आलोच्य माह में 0.9 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि पिछले साल के इसी महीने में इसमें 5.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार मांग को दर्शाने वाला पूंंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में अगस्त महीने में 11.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि इससे पूर्व वर्ष के इसी महीने में उत्पादन में 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी।

खनन क्षेत्र की वृद्धि दर अगस्त महीने में 2.6 प्रतिशत रही जबकि एक वर्ष पूर्व इसी महीने में इसमें 0.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी। बिजली उत्पादन अगस्त में 12.9 प्रतिशत बढ़ा जबकि एक वर्ष पूर्व इसी महीने में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। मध्यवर्ती वस्तुओं के उत्पादन में केवल 0.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक वर्ष पूर्व इसी माह में 3.8 की वृद्धि दर्ज की गयी थी। आलोच्य महीने में प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक वर्ष पूर्व इसी महीने में इसमें 0.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। कुल मिलाकर अगस्त में विनिर्माण क्षेत्र में 22 औद्योगिक वर्गों में से 11 में उत्पादन बढा।

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